गुरुवार

अधिकारों की सीमा...


अधिकारों की सीमा....
सभी को अपनी बात रखने का अधिकार होना चाहिए
पर किसी की भावना पर नहीं प्रहार होना चाहिए
देश और धर्म के लिए संतुलित व्यवहार होना चाहिए
अधिकारों के लिए निश्चित एक दीवार होना चाहिए
एक वर्ग का संरक्षण दूसरे पर नहीं अत्याचार होना चाहिए
देश के विकास में योग्यता बस हथियार होना चाहिए
मानव मन में मानव के लिए प्रेम-सत्कार होना चाहिए
अभिव्यक्ति  के नाम नही व्यभिचार होना चाहिए
देशद्रोह के लिए निर्धारित दण्ड व्यवधान होना चाहिए
मातृभूमि, मातृभाषा के सम्मान का संविधान होना चाहिए
सिर्फ मानवताधारी के लिए मानवाधिकार होना चाहिए
देशद्रोहियों के लिए बस गोलियों की बौछार होनी चाहिए।
अधिकारों की भी सीमा स्वीकार होना चाहिए।
मालती मिश्रा
चित्र-....साभार गूगल से



2 टिप्‍पणियां:

  1. आपका कहना उचित है हर किसी को अपनी अपनी सीमाओं का ध्यान रखना चाहिए ... विचारों की स्वतंत्रता दायरे में ठीक है ... अच्छी रचना के माध्यम से बात को रखा है ...

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