शीर्षक- सावन सबको भाए
सावन का यह मास सुहाना
सबके मन को भाय।
पल में उजला पल अंधेरा
दिन में सपन दिखाय।
जल भर-भर ले आए बदरा
धरती पर बरसाय।
प्यास बुझी तपती धरती की
हरियाली मुसकाय।
दादुर मोर पपीहा बोले
गीत मिलन के गाय।
स्वाति बूंद की चाह लिए अब
पपिहा आस लगाय।
धानी चूनर...
सावन सबको भाए
