आज देश में हर घर-घर में मन रही दीवाली है,
शत्रुओं की यह रात उनके कर्मों सी अब काली है।
वीर शहीद हमारे जिन पर देश नाज करता है,
उनके बलिदानों की ज्योति हमने हर हृदय में जला ली है।
पितृपक्ष का मास यह पितरों को तर्पण देते हैं,
देश के सपूतों ने शहीदों को सच्ची श्रद्धा अर्पण कर डाली है।
इस देश का हर सैनिक आज भगत सिंह सरदार है,
चीर डालने को शत्रुओं की छाती उसने हथियार उठा ली है।
चेत जा ऐ शत्रु अभी तू वक्त का रुख पहचान ले,
मत भूल कि हिंदुस्तान की बगिया का ५६ इंची सीने वाला माली है।
"जय हिंद जय हिंद की सेना" की ध्वनि से गूँज रहा अब अंबर है,
वीर जवानों के शंखनाद से पवन हुई मतवाली है।
मालती मिश्रा
शत्रुओं की यह रात उनके कर्मों सी अब काली है।
वीर शहीद हमारे जिन पर देश नाज करता है,
उनके बलिदानों की ज्योति हमने हर हृदय में जला ली है।
पितृपक्ष का मास यह पितरों को तर्पण देते हैं,
देश के सपूतों ने शहीदों को सच्ची श्रद्धा अर्पण कर डाली है।
इस देश का हर सैनिक आज भगत सिंह सरदार है,
चीर डालने को शत्रुओं की छाती उसने हथियार उठा ली है।
चेत जा ऐ शत्रु अभी तू वक्त का रुख पहचान ले,
मत भूल कि हिंदुस्तान की बगिया का ५६ इंची सीने वाला माली है।
"जय हिंद जय हिंद की सेना" की ध्वनि से गूँज रहा अब अंबर है,
वीर जवानों के शंखनाद से पवन हुई मतवाली है।
मालती मिश्रा