दिल आखिर तू क्यों रोता है
जीवन मानव का पाकर
जो इस दुनिया में आते हैं
जैसे कर्म करते इस जग में
वैसा ही फल पाते हैं
तेरे किए का क्या फल होगा
ये कब किसके वश में होता है
दिल आखिर तू क्यों रोता है...
जीवन दिया जिस जगत पिता ने
उसने संघर्ष की शक्ति भी दी
कष्ट दिए गर उसने हमको तो
पार निकलने की युक्ति भी दी
माना कि कष्ट प्रबल होता है
पर धैर्य ही अपना संबल होता है
दिल आखिर तू क्यों रोता है.....
यह जीवन एक तमाशा है
हर मोड़ पे आशा और निराशा है
आशा का सूर्य उदय जब होता
तम रूपी निराशा छट जाती है
टूट जाए जो धैर्य का संबल
जीवन वो कभी न सफल होता है
दिल आखिर तू क्यों रोता है......
#मालतीमिश्रा
जीवन मानव का पाकर
जो इस दुनिया में आते हैं
जैसे कर्म करते इस जग में
वैसा ही फल पाते हैं
तेरे किए का क्या फल होगा
ये कब किसके वश में होता है
दिल आखिर तू क्यों रोता है...
जीवन दिया जिस जगत पिता ने
उसने संघर्ष की शक्ति भी दी
कष्ट दिए गर उसने हमको तो
पार निकलने की युक्ति भी दी
माना कि कष्ट प्रबल होता है
पर धैर्य ही अपना संबल होता है
दिल आखिर तू क्यों रोता है.....
यह जीवन एक तमाशा है
हर मोड़ पे आशा और निराशा है
आशा का सूर्य उदय जब होता
तम रूपी निराशा छट जाती है
टूट जाए जो धैर्य का संबल
जीवन वो कभी न सफल होता है
दिल आखिर तू क्यों रोता है......
#मालतीमिश्रा
बहुत सुंदर मीता आश्वासन देती बहुत गहरी पंक्तियाँ।
जवाब देंहटाएंधैर्य और सहनशीलता का पाठ पढाती ।
मीता बहुत खुशी हुई कि आप ब्लॉग पर आए आपकी टिप्पणी मुझे प्रेरणा देती है। अति आभार मीता। 🙏
हटाएंनमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
गुरूवार 22 मार्च 2018 को प्रकाशनार्थ 979 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
सधन्यवाद
Ravindra Ji बहुत-बहुत आभार मेरी पंक्तियों को सम्मिलित करने तथा सूचित करने के लिए।
हटाएंसार्थक रचना प्रिय मालती जी | सस्नेह ----
जवाब देंहटाएंरेनू जी हौसला अफजाई के लिए सादर आभार।🙏
हटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंब्लॉग पर आपका स्वागत है लोकेश जी, प्रोत्साहन के लिए तहेदिल से शुक्रिया🙏
हटाएंवाह्ह्ह...बेहद शानदार...सुंदर रचना मालती जी👌👌
जवाब देंहटाएंशवेता जी आपका प्रोत्साहन लिखने को प्रेरित करता है, आभार आपका🙏
हटाएंबहुत सुन्दर, सार्थक रचना....
जवाब देंहटाएंवाह!!!
सुधा जी बहुत-बहुत शुक्रिया, निस्संदेह आपके प्रोत्साहन स्वरूपी शब्द मेरी लेखनी को बल देते है. धन्यवाद🙏
हटाएंवाह
जवाब देंहटाएंक्या खूब
बधाती हो धीरज संग आश्वासन से देती हो
जीवन पथ पर सहज भाव चलने का
आवाह्न से करती हो ।
सखी क्या उत्साह बँधाती हो!
हटाएंदिल में उम्मीद जगाती हो,
खो चुके जो निराशा के वन में
बड़ी सहजता से आप उन्हें तम से
छीन लाते हो।
साधुवाद सखी।🙏