नैना कितने बावरे
हर पल हर घड़ी नीर भरे
दुख हो या अतिरेक खुशी का
बिन माँगे मोती बरस पड़े
नैना कितने ....
नीर भरी बदली नयनों में
प्रतिपल अपना राज करे
मुस्काते नयनों की चमक को
तरल आवरण धुँधला सा करे
नैना कितने......
नयनों की भाषा सरल है
निःसंकोच सब सत्य कहे
हिय अंतस में छिपे राज को
बिन बोले यह प्रकट करे
नैना कितने.......
चंचल भोली सी चितवन
मन के सब हाल बयाँ करे
लाख छिपाए जिह्वा जग से
भोले नयना सब खोल धरे
नैना कितने.....
अति भावुक से दो ये नैना
प्रेम के सागर से सदा भरे
दुख-सुख की गहराई पलभर में
अश्कों के निर्झर से झरे
नैना कितने......
नैना दिखाए सत्य जगत का
जीवन में सौंदर्य भरे
पलकों का आवरण इसपर पड़ते ही
जगत अँधेरे में घिरे
नैना कितने......
मालती मिश्रा
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