बुधवार

पहली गुरु

पहली गुरु
 पहली गुरुजेल की छोटी सी कोठरी में फर्श पर घुटनों में मुँह छिपाए बैठा था ऋषि। उसके साथ ही दो और कैदी थे जो आपस में ही कुछ बतिया रहे थे और बीच-बीच में हिकारत भरी नजर से उसकी ओर देख लेते। उसके कानों में उन दोनों की बातें पिघले शीशे की मानिंद उतर रही थीं, उनमें से एक...