मंगलवार

अरु..भाग-८- २

अरु..भाग-८- २
प्रिय पाठक अब तक आपने पढ़ा कि अरुंधती ट्रेन में अपनी बर्थ पर पैर फैलाकर बैठ गई और डायरी खोलकर पढ़ने लगी... डायरी के पहले पन्ने पर ही लिखा था..अब गतांक से आगे...."बची न वजह अब जीने की कोईफिर भी घूँट-घूँट साँसों कोपिए जा रही हूँ..जिए जा रही हूँजिए जा रही हूँ.."यह कैसी जीवन...