आतंकी की रक्षा का समर्थन
आज यही बतलाता है,
आज पशु नही मानव भी
सिर्फ इपना स्वार्थ दिखलाता है....
देश सेवा के नाम पर
समाज पर पकड़ बनाता है,
कानून के नाम पर
जनता में भ्रम फैलाता है....
जनता का मुखिया बनकर
जनता में लूट मचाता है,
अपनी तिजोरियाँ भरने को
गरीबों की रोटियाँ गिनता है....
जनता को अशिक्षित रखना
इनकी चाल दिखाता है,
जान सको तो जान लो इनकी
हर चाल एक नई दिशा दिखाता है....
जिसने दहलाया देश को
जिसने नर संहार किया,
उस अपराधी को सहानुभूति दे
तुमने इंसानियत को धिक्कार दिया....
किसी ने खोया अपना पिता
किसी ने खोया अपनी मात,
किसी से बिछड़े उनकी संतान
तो कोई हो गया अनाथ....
सबके जीवन को तहस-नहस कर
जो जीत की खुशी मनाता है,
आज उसी के मृत्यु दंड पर
समाज का एक वर्ग प्रश्न उठाता है....
यह घटना करती समाज के
उन रहनुमाओं को बेनकाब,
इनमें ही छिपे हुए हैं टाइगर
दाऊद, याकूब और कसाब....
हिंदुस्तान की नरमी बनी है
आज इसी के लिए अभिशाप,
हिंदी, हिंदू,हिंदुस्तान की
भक्ति लगती इनको पाप....
जिस देश का नमक ये खाते हैं
करते उससे ही नमक हरामी,
देश के दुश्मन आतंकियों की
चंद सिक्कों के लिए करते हैं गुलामी....
देश संवारने आए थे ये
बन कर जनता के पथ-प्रदर्शक,
देश का भविष्य बेचकर
बन जाते हैं मूक दर्शक....
नापाक इरादे लेकर पलते
आतंक का हुकुम बजाते है,
भारत की पीठ में छुरा घोंप
भारतवासी कहलाते हैं....
आतंकवादी की सुरक्षा खातिर
हर पैंतरा अपनाते हैं,
कानून के नाम पर ही
कानून का मखौल उड़ाते हैं....
जनहित के कानून का प्रयोग ये
आतंक के हित में करते हैं,
खेल-खेल कर दांव पेंच
दहशत गर्दी को बचाते हैं....
चंद सिक्कों की खनक में
बेच दिया अपना ईमान,
आज न कोई भाई-बंधु
न दिखता अपना देश महान....
अपनी अमिट भूख मिटाने को
तलवे चाटें दहशत गर्दी के,
हत्या करके अपने जमीर का
बन गए गुलाम उनकी मर्जी के....
धर्म-जाति की आग लगाकर
वोट का बैंक बढ़ाते हैं,
भड़काऊ भाषण दे-देकर
जनता को भड़काते हैं....
सीधी-सादी भोली जनता
इनकी बातों में फँसती है,
ऐसे में दहशत गर्दी
अपना शिकंजा कसती है....
पर भूल गए ये अटल सत्य
हर झूठ की होती शाम है,
जहाँ जन्मे कंस और रावण
वहीं पर कृष्ण और राम हैं....
जिस देश में हमने जन्म लिया
उस देश के हम आभारी हैं,
जागो हिंद के वासी दिखला दो
भारत माँ हमको कितनी प्यारी है.........
आज यही बतलाता है,
आज पशु नही मानव भी
सिर्फ इपना स्वार्थ दिखलाता है....
देश सेवा के नाम पर
समाज पर पकड़ बनाता है,
कानून के नाम पर
जनता में भ्रम फैलाता है....
जनता का मुखिया बनकर
जनता में लूट मचाता है,
अपनी तिजोरियाँ भरने को
गरीबों की रोटियाँ गिनता है....
जनता को अशिक्षित रखना
इनकी चाल दिखाता है,
जान सको तो जान लो इनकी
हर चाल एक नई दिशा दिखाता है....
जिसने दहलाया देश को
जिसने नर संहार किया,
उस अपराधी को सहानुभूति दे
तुमने इंसानियत को धिक्कार दिया....
किसी ने खोया अपना पिता
किसी ने खोया अपनी मात,
किसी से बिछड़े उनकी संतान
तो कोई हो गया अनाथ....
सबके जीवन को तहस-नहस कर
जो जीत की खुशी मनाता है,
आज उसी के मृत्यु दंड पर
समाज का एक वर्ग प्रश्न उठाता है....
यह घटना करती समाज के
उन रहनुमाओं को बेनकाब,
इनमें ही छिपे हुए हैं टाइगर
दाऊद, याकूब और कसाब....
हिंदुस्तान की नरमी बनी है
आज इसी के लिए अभिशाप,
हिंदी, हिंदू,हिंदुस्तान की
भक्ति लगती इनको पाप....
जिस देश का नमक ये खाते हैं
करते उससे ही नमक हरामी,
देश के दुश्मन आतंकियों की
चंद सिक्कों के लिए करते हैं गुलामी....
देश संवारने आए थे ये
बन कर जनता के पथ-प्रदर्शक,
देश का भविष्य बेचकर
बन जाते हैं मूक दर्शक....
नापाक इरादे लेकर पलते
आतंक का हुकुम बजाते है,
भारत की पीठ में छुरा घोंप
भारतवासी कहलाते हैं....
आतंकवादी की सुरक्षा खातिर
हर पैंतरा अपनाते हैं,
कानून के नाम पर ही
कानून का मखौल उड़ाते हैं....
जनहित के कानून का प्रयोग ये
आतंक के हित में करते हैं,
खेल-खेल कर दांव पेंच
दहशत गर्दी को बचाते हैं....
चंद सिक्कों की खनक में
बेच दिया अपना ईमान,
आज न कोई भाई-बंधु
न दिखता अपना देश महान....
अपनी अमिट भूख मिटाने को
तलवे चाटें दहशत गर्दी के,
हत्या करके अपने जमीर का
बन गए गुलाम उनकी मर्जी के....
धर्म-जाति की आग लगाकर
वोट का बैंक बढ़ाते हैं,
भड़काऊ भाषण दे-देकर
जनता को भड़काते हैं....
सीधी-सादी भोली जनता
इनकी बातों में फँसती है,
ऐसे में दहशत गर्दी
अपना शिकंजा कसती है....
पर भूल गए ये अटल सत्य
हर झूठ की होती शाम है,
जहाँ जन्मे कंस और रावण
वहीं पर कृष्ण और राम हैं....
जिस देश में हमने जन्म लिया
उस देश के हम आभारी हैं,
जागो हिंद के वासी दिखला दो
भारत माँ हमको कितनी प्यारी है.........
एक आंदोलित कर देने वाली रचना है ! ऐसे ही लिखते रहो !!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद Paurush K जी
हटाएंधन्यवाद Paurush K जी
हटाएंमैंने अभी इस ब्लॉग को पर ट्विटर पर प्रेषित किया था ! तो वहां लोग आपका तार्रुफ़ जानने के लिए अधीर हो रहे हैं, यदि आपका ट्विटर खाता है और आप ठीक समझें तो वहां भी एक बार अपना परिचय करा दें !
हटाएंसत्य को दर्शाती रचना।
जवाब देंहटाएंसत्य को दर्शाती रचना।
जवाब देंहटाएंसत्य को दर्शाती रचना।
जवाब देंहटाएंsahmat hu
जवाब देंहटाएंसत्य वर्णन ! ( keep it up 👍 )
जवाब देंहटाएंआप सभी का मेरे ब्लॉग पर आने के लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएं