आरक्षण के पाश में बँधकर प्रतिभाएं दम तोड़ रहीं,
जाति-धर्म के नाम पर देखो सरस्वती मुख मोड़ रही।
आरक्षण की तलवार है चलती योग्यता की गर्दन पर,
सक्षम बन क्या करना है सफल हैं आरक्षण के दम पर।
समानता का अधिकार तो शोभा है बस कहने भर की,
गर समान हैं सभी आज तो आरक्षण...
आरक्षण का पाश
