गुरुवार

खाली बेंच सी जिंदगी

 खाली बेंच सी जिंदगी


उस पुराने से दिखते मकान के बाहर

पेड़ों के झुरमुटों के बीच

कुछ छोटे-बड़े पेड़ों के नीचे

रखे उस खाली बेंच सी है जिंदगी

आँधी-तूफानों से घिरी हुई

धूप में तपती और वर्षा में सिहरती

सर्दियों की ठिठुरन में 

सर्द पड़ी हुई

हवाओं की लाई गर्द तन पर लपेटे

पतझड़ के पत्तों

से ढकी-सी जिंदगी

अंबर के साए में घर के आँचल से

अनछुई

धरती में जिद के पैर जमाए

बोझिल-सी

परित्यक्त जिंदगी 

इस खाली बेंच सी जिंदगी।


मालती मिश्रा 'मयंती'✍️


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