बुधवार

खामोशी

खामोशी
तुम हो मैं हूँ और हमारे बीच है...गहरी खामोशी खामोशी.. जो बोलती है पर तुम सुन नहीं पाते खामोशी जो शिकवा करती है  तुमसे तुम्हारी बेरुखी की पर तुम अंजान बन जाते हो  खामोशी.. जो रोती है, बिलखती है  पर तुम देख नहीं पाते  खामोशी... जो माँगती...

मंगलवार

तन्हाई.....

तन्हाई.....
तन्हाई की गहराई तक पाया खुद को तन्हा मैंने... चलोगे तुम साथ मेरे थाम हाथों में हाथ मेरे... देखा था ये सपना मैंने| पर सपना था वो....सिर्फ सपना होता है ये कब किसी का अपना? कुछ पल का जीवन दे जाता है  अकेलेपन से दामन छुड़ा जाता है  पर जब टूटता है..... तो...

रविवार

बढ़ती सुविधाएँ.....घटते संस्कार

बढ़ती सुविधाएँ.....घटते संस्कार
आज दुनिया ने विकास के नये-नये आयाम हासिल कर लिए हैं मनुष्य ने अपनी बुद्धि, अपनी सूझ-बूझ से विकास की ऊँचाइयों को छू लिया है, मनुष्य ने तकनीकी विकास के द्वारा सुख-सुविधाओं के उन साधनों का आविष्कार किया है जिनके विषय में पहले व्यक्ति सोच भी नहीं सकता था, आज व्यक्ति विकास...

सोमवार

मैं फेल हो गई......एक सोच

मैं फेल हो गई......एक सोच
बैठे-बैठे यूँ ही मेरे मन में  आज अचानक ये विचार आए  अपने जीवन के पन्नों को  क्यों न फिर से पढ़ा जाए  अतीत में छिपी यादों की परत पर  पड़ी धूल जो हटाने लगी  अपने जीवन के पन्नों को  एक-एक कर पलटने लगी  जब मैं छोटी सी गुड़िया...

शुक्रवार

मुखौटा...

मुखौटा...
आँखें नम हैं, दिल में गम है  छिपाए फिरते हैं दुनिया से  चिपका कर होंठों पे झूठी मुस्कान  दिल में लिए फिरते हैं दर्द का तूफान  पहन मुखौटा मान-सम्मान का करते सुरक्षा झूठे अभिमान का भीतर से टूटे-बिखरे पड़े हैं फिर भी प्रत्यक्ष में अकड़े खड़े...

बाबूजी ने सुनाई कहानी-'एक तो देखी घर की नार'

   सभा समाप्त हुई, राजा साहब लुटेरों को ढूँढ़ने का आदेश देकर दरबार से प्रस्थान कर चुके थे, सभी मंत्रियों, दरबारियों में बुदबुदाहट शुरू हो गई थी.. कोई कह रहा था कि जरूर कोई भीतर का ही होगा अन्यथा इतनी बड़ी चोरी को अन्जाम देना असंभव है तो दूसरा कहता नही इतना...