रविवार

सत्य का आलोक

सत्य का आलोक
सत्य सूर्य की प्रखर किरण है अपना आलोक दिखाएगा परत-दर-परत एकत्र तिमिर को मोम सदृश पिघलाएगा। तिमिर की कालिमा में छिपकर निशिचर नित शक्ति बढ़ाएगा छँटने लगी गहनता जो इसकी वह हाहाकार मचाएगा। उलूक और चमगादड़ सम प्राणी अंधकार में ही पंख फैलाएगा करे प्रहार कोई...

बुधवार

नारी का रूप (महिला दिवस के अवसर पर)

नारी का रूप (महिला दिवस के अवसर पर)
मन को भाती हृदय समाती  अति सुंदर गुनगुनाती सी बुझे दिलों में दीप जलाती कण-कण सौरभ बिखराती सी आशा की नई किरण बन आती चहुँओर खुशियाँ बिखराती सी हर मन के संताप मिटाती बन बदली प्रेम बरसाती सी माँ ममता के आँचल में छिपाती बहन बन लाड़ लड़ाती सी बन भार्या हमकदम बन जाती मित्र...

रविवार

मेरी प्रकाशित पुस्तक "अन्तर्ध्वनि" से..

मेरी प्रकाशित पुस्तक अन्तर्ध्वनि से..
शक्तिस्वरूपा नारी सागर सी गहराई है और अंबर सम नीरवता मन में, धैर्य धरा अवनि से उसने प्रकृति सम ममता हृदय में। तरंगिनी की निरंतरता जीवन में पर्वत सम जड़ता निर्णय में, पवन देव की प्राणवायु और अग्नि देव का शौर्य है उसमें। माटी से विविध रूप धारण कर हरियाली सम सौंदर्य है...