गुरुवार

जुबाँ पर अपने हिन्दी है और दिल में हिन्दुस्तान है

जुबाँ पर अपने हिन्दी है और दिल में हिन्दुस्तान है
जन्म लिया इस धरती पर  हमने (नव निर्मित) पाया माँ की गोदी माँ की मीठी बोली ने ममता की मिश्री घोली, मिश्री सी मीठी बोली में बसती हमारी जान है अपनी जुबाँ पर हिंदी है और दिल में हिंदुस्तान है। जिस भाषा में माँ हमको सुनाती थी गाकर लोरी बिन सीखे जो बोल गए हम वह है माँ...

बुधवार

जुबां पर अपनी हिन्दी है, दिल में हिंदुस्तान है..

जुबां पर अपनी हिन्दी है, दिल में हिंदुस्तान है..
जन्म लिया इस धरती पर  हमने (नव निर्मित) पाया माँ की गोदी माँ की मीठी बोली ने  ममता की मिश्री घोली, मिश्री सी मीठी बोली में बसती हमारी जान है अपनी जुबाँ पर हिंदी है  और दिल में हिंदुस्तान है। जिस भाषा में माँ हमको सुनाती थी गाकर लोरी बिन सीखे...

शुक्रवार

पगडंडी मेरे गाँव की

पगडंडी मेरे गाँव की
वो टेढ़ी-मेढ़ी  कहीं संकरी तो कहीं उथली-सी पगडंडी गाँव के मुहाने से शुरू होकर खेतों के मोड़ों से होती हुई बगीचे को दो हिस्सों में बाँटती दूसरे गाँव में पूरे हक से प्रवेश करती  अल्हड़ बाला-सी कभी दाएँ  तो कभी  बाएँ बलखाती  इठलाती-सी अन्जाने गाँवों...

बुधवार

'कुछ हकीकत कुछ फलसफे' नवोदित कवि श्री मनीष सिंह और उनके दो अन्य सहयोगी मित्रों द्वारा रचित ऐसी पुस्तक है जिसे पढ़ने बैठो तो मन करता है कि पूरी समाप्त किए बगैर न छोड़ें। वैसे तो मनीष सिंह जी पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं परंतु उनकी कविताओं को पढ़कर साहित्य में उनकी गहन...

तुम जो गईं मुझे छोड़कर...

तुम जो गईं मुझे छोड़कर...
तुम जो गईं मुझे छोड़कर कुछ भी रहा न पास ज्यों सागर के बीच भी बुझे न मीन की प्यास। बाग-बगीचे बारी, पनघट घर, चौबारा जब भी सोचूँ हर सूँ तू ही तू दिखती है हर शय को बस तेरी आस। जब तक हाथ तेरा सिर पर था मैं राजकुमारी थी तेरे महल की हाथ  जो  तूने ...

मंगलवार

नदी और तालाब के पानी की यदि तुलना करें तो नदी का पानी तालाब के पानी की तुलना में अधिक स्वच्छ होता है क्योंकि वह निरंतर बहता रहता है जबकि ठहराव के कारण तालाब का पानी सड़ जाता है और वह बीमारी फैलाता है। कहते हैं परिवर्तन का दूसरा नाम जीवन है यदि जीवन में परिवर्तन स्वीकार...