चाय की ट्रे लेकर जाती हुई उर्मिला के पाँव एकाएक जहाँ थे वहीं ठिठक गए, जब उसके कानों में पड़ोस की प्रभावती ताई की आवाज पड़ी, जो उसकी माँ से कह रही थीं, "अरे नंदा कब तक घर में बैठा कर रखेगी जवान विधवा बेटी को? अभी तो उसकी पूरी जिंदगी पड़ी है सामने। जब तक तू और भागीरथ...
सौतेली..
