भूल के सारे भेद लड़ो सब
अभी इसी बीमारी से,
जंग छिड़ी है आज विश्व की
कोरोना महामारी से।
देखे न यह जाति पंथ और
देखे न यह धर्म कोई
बूढ़ा बच्चा या जवान हो,
नर नारी या शिशु कोई
नहीं किसी से इसे मित्रता
राजा हों या भिखारी से
जंग छिड़ी है आज विश्व की
कोरोना महामारी से।
जीवित यदि हम रह जाएँगे
कार्य करेंगे बाद सभी
देशहित और निज हित खातिर
छोड़ बाहरी काम अभी
घर के भीतर रहकर लड़ें हम
दुनिया की लाचारी से
जंग छिड़ी है आज विश्व की
कोरोना महामारी से।
त्राहि-त्राहि कर रहा विश्व है
राह कोई न दिखाई दे
रणछोड़ बनकर ही जीतेंगे
बस युक्ति यही सुझाई दे
जीवन की इस कठिन घड़ी में
काम लो होशियारी से
जंग छिड़ी है आज विश्व की
कोरोना महामारी से।
रोज कमाना फिर ही खाना
जिनकी ये मजबूरी है
लॉकडाउन के चलते यारों
धंधे से उनकी दूरी है
उनका भी कुछ ख्याल करें
हम सब जिम्मेदारी से
जंग छिड़ी है आज विश्व की
कोरोना महामारी से।
मालती मिश्रा 'मयंती'✍️
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