शनिवार

आई सुहानी नागपंचमी

आई सुहानी नागपंचमी
डम डम डमरू बाजे,  गले में विषधर साजे। जटाओं में गंगा मां करतीं हिलोर, आई सुहानी नागपंचमी का भोर। द्वार सम्मुख नाग बने, गोरस का भोग लग। करना कृपा हम पर हे त्रिपुरार, दूर करो जग से कोरोना की मार। सखियों में धूम मची,  धानी चूनर से सजीं। गुड़िया बनाए अति सुंदर...

मंगलवार

ऐ जिंदगी गले लगा ले

ऐ जिंदगी गले लगा ले
ऐ जिंदगी गले लगा ले... विरक्त हुआ मन तुझसे जब भी तूने कसकर पकड़ लिया नई-नई आशाएँ देकर मोहपाश में जकड़ लिया ऐ जिंदगी क्या यही तेरे रंग जिनको मैंने चाहा था तेरे हर इक गम को मैंने गले लगा के निबाहा था भूल के मेरी नादानी को फिर आशा की किरण जगा दे ऐ जिंदगी गले लगा ले। साया...