डम डम डमरू बाजे,
गले में विषधर साजे।
जटाओं में गंगा मां करतीं हिलोर,
आई सुहानी नागपंचमी का भोर।
द्वार सम्मुख नाग बने,
गोरस का भोग लग।
करना कृपा हम पर हे त्रिपुरार,
दूर करो जग से कोरोना की मार।
सखियों में धूम मची,
धानी चूनर से सजीं।
गुड़िया बनाए अति सुंदर...
आई सुहानी नागपंचमी
