स्मृतियों का खजाना, सदा मेरे पास होता है।घूम आती हूँ उन गलियों में, जब भी मन उदास होता है।माँ की वो पुरानी साड़ी का पल्लू,जब मेरे हाथ होता है।माँ के ममता से भीगे आँचल का,स्नेहिल अहसास होता है।बचपन का दामन छूट गया,पर स्मृतियों ने साथ निभाया है।जब भी अकेली पाती हूँ...
स्मृतियाँ

Categories:
कविता