खाली बेंच सी जिंदगीउस पुराने से दिखते मकान के बाहरपेड़ों के झुरमुटों के बीचकुछ छोटे-बड़े पेड़ों के नीचेरखे उस खाली बेंच सी है जिंदगीआँधी-तूफानों से घिरी हुईधूप में तपती और वर्षा में सिहरतीसर्दियों की ठिठुरन में सर्द पड़ी हुईहवाओं की लाई गर्द तन पर लपेटेपतझड़...
खाली बेंच सी जिंदगी

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कविता