रविवार

युग निर्माता कौन (Yug nirmata kaun)

शिक्षक तो है युग निर्माता
पर कहीं न वो पूजा जाता ा
कोटि-कोटि प्राणियों में,
शिक्षा की ज्योति जगाता है,
अंध मार्ग में इस जग के
ज्ञान का दीप जलाता है ा
एक युग रचना का रचनाकार,
नही चाहता युग पर अधिकार,
पर कहीं नही है जय-जयकार ा
जय है तो बस उस श्रेणी की,
जो युगदृष्टा बन भरमाते हैं,
देकर झांसा भोले समाज को,
अपनी झोली भर ले जाते हैंा
बन बैठे हैं वो कर्ता-धर्ता,
लोगों के भाग्य विधाता ये,
विश्वास प्राप्त कर लोगों का,
विश्वासघात कर जाते हैं ा
फिरभी ये मौका परस्त दानव ही,
देव बन पूजे जाते हैं ा
शिक्षक तो है युग निर्माता
पर कहीं न पूजे जाते हैं ा

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