जीवन पानी सा बहता है
ऊँची-नीची, टेढ़ी-मेढ़ी,
कंकरीली-पथरीली सी
सँकरी कभी
और कभी गहरी-उथली
आती बाधाएँ राहों में
पानी अपनी राह बनाता
लड़ता सारी बाधाओं से
अविरल धारा सम कर्मरत रह
हर प्रस्तर को पिघलाता जाए
जीवन पानी सा बहता जाए
आगे आए कष्टों का पर्वत
पर जीवन नहीं रुका करता
राह नई बनाने को
पर्वत काट गिराता है
पथ की दुर्गमता अधिक हो जितनी
प्रण उतना ही यह सबल बनाए
मंजिल अपनी पाने को
नदिया सम
सागर से मिल जाने को
बाधाओं को परे हटाकर
नई डगर यह रचता जाए
जीवन पानी सा बहता जाए
मालती मिश्रा
ऊँची-नीची, टेढ़ी-मेढ़ी,
कंकरीली-पथरीली सी
सँकरी कभी
और कभी गहरी-उथली
आती बाधाएँ राहों में
पानी अपनी राह बनाता
लड़ता सारी बाधाओं से
अविरल धारा सम कर्मरत रह
हर प्रस्तर को पिघलाता जाए
जीवन पानी सा बहता जाए
आगे आए कष्टों का पर्वत
पर जीवन नहीं रुका करता
राह नई बनाने को
पर्वत काट गिराता है
पथ की दुर्गमता अधिक हो जितनी
प्रण उतना ही यह सबल बनाए
मंजिल अपनी पाने को
नदिया सम
सागर से मिल जाने को
बाधाओं को परे हटाकर
नई डगर यह रचता जाए
जीवन पानी सा बहता जाए
मालती मिश्रा
आभार यशोदा जी।
जवाब देंहटाएंआभार यशोदा जी।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत आभार सुधा जी।
हटाएंजीवन पानी सा निर्मल हो और गतिमय हो..इसी सुंदर कामना से नये वर्ष का आरम्भ हो..
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत आभार अनीता जी, आपको नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ
हटाएंबहुत-बहुत आभार अनीता जी, आपको नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ
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