शुक्रवार

वंदना

हे शारदे माँ करूँ वंदना
कमल नयना श्वेत वसना
हंसवाहिनी वीणा धारिणी
वागेश्वरी माँ करूँ प्रार्थना

भवभय हरिणी मंगल करणी
श्वेत पद्मासना माँ शतरूपा
अज्ञानता मिटाकर हमें तार दे
वाणी अधिष्ठात्री माँ शारदे

स्वार्थ लोभ दंभ द्वेष
अवगुणों से हमें उबार दे
शुक्लवर्णा माँ भारती
प्रेम सौहार्द्र का संसार दे

हे जगजननी भव भय हरनी
श्वेत वस्त्रधारिणी वीणा वादिनी
नित-नित शीश नवाकर तुझको
हो शारदे माँ करूँ वंदना।
मालती मिश्रा

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