शुक्रवार

नही चाहिए कानून की पट्टी


अब कानून की आँखों से पट्टी हटा ही देना चाहिए
कानून को लोगों की आँखें पढ़ना भी आना चाहिए
कन्हैया सम गद्दारों की गद्दारी भी दिखना चाहिए
क्योंकि कानून के कुछ रखवाले कांग्रेसी 
तो कुछ पीमचिदंबरम् होते है
जिनके पापों का बोझ निर्भया जैसे ढोते हैं 
माना कि कानून के समक्ष सब एक बराबर होते हैं 
पर किसने कहा कि काले कोट में श्वेत हृदय ही होते हैं 
हमने तो कानून को व्यापार करते देखा है 
नोटों की हरी गड्डी पर काले कोट बिकते देखा है 

मालती मिश्रा

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