आज का व्यक्ति क्या चाहे
बिना परिश्रम सुुख बेशुमार
कर्तव्यों को दिया बिसार
पाना चाहे सम्पूर्ण अधिकार
कभी आरक्षण और कभी
मुफ्त बाँटने वाली सरकार
देश चाहें सशक्त और विशाल
कर चुराकर चाहें
घर में हो टकसाल
पथभ्रमित हो चुके मानव की
इन ख्वाहिशों को बना आधार
सुरक्षा के नाम पर असुरक्षा
बाँट रही सरकार
मेहनत से सब भाग रहे
मुफ्त की आस में ताक रहे
अवैध जमीन,अवैध सुविधा
पाने को सब हैं बेकरार
कर्तव्यविहीन क्या चाहे
कर्म बिना सुख बेशुमार
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