बुधवार

न्याय की देवी


ये कानून की अंधता नहीं तो और क्या है कि आतंकियों को मारने वाला 9 साल जेल में रहता है और आतंकियों के समर्थक ओवैसी,कन्हैया,उमर खालिद और उनको संरक्षण देने वाले केजरी, राहुल गाँधी आदि पूरी सुरक्षा और सुविधाओं के साथ स्वतंत्र घूमते हैं।

न्यायालय में न्याय की देवी 
रहती आँखों पर पट्टी बाँधे 
आज समय आ गया है कि 
हम उस पट्टी को हटा दें 
वो देखे देश में आज
क्या-क्या दुर्घटनाएँ घट रहीं 
अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर 
जनता कैसे बँट रही 
न्याय के मंदिर में कैसे 
सत्य की बोली लगती है 
दोषी पाकर सुरक्षा घूमें 
निर्दोषता खड़ी बिलखती है 
सत्य-असत्य पृथक करने की 
जिसने भी सौगंध उठाई 
नोटों की हरी गड्डी के समक्ष 
काले कोट की कालिमा गहराई 
मालती मिश्रा

4 टिप्‍पणियां:

  1. यह वास्तव में बडी ही विडम्बना है आज के दौर की। सारी की सारी व्यवस्था ही कही न कहीं गडबडी का शिकार है।

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    1. भाई साहब.. यह व्यवस्था कहीं न कहीं नहीं.. अपितु हर कहीं भारी गड-बड़ियों का शिकार है.. क्यूँ कि यह फ़िरंगियों की भारत की गुलामी तथा भारत की लूट करने के लिए बनाई गई व्यवस्था-तन्त्र अब तक जारी जस का तास जारी है.. शासकीय एवं लोकतान्त्रिक तौर पर भारत कभी अँग्रेज़ो की गुलामी से आज़ाद ही नहीं हो पाया है आज 2018 तक भी... इसलिए ही यह व्यवस्था तथा यह तंत्र ऐसा है... एवं इसलिए ही आज आज़ादी के 70 सालों बाद भी देश की चहुं ओर इतनी दुर्दशा... इतनी बरबादी हो रही है... वो भी अंग्रेज़ो से भी कहीं ज़्यादा उनके तंत्र-उनकी व्यवस्था में यह काले-अँग्रेज़ देश को और देश की जनता को बदस्तूर लूटें ही जा रहें हैं.....

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  2. धन्यवाद मनीष जी, आपकी अनमोल प्रतिक्रिया मेरा मार्गदर्शन करेगी, शुभरात्रि

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