नारी तू खुद को क्यों
इतना दुर्बल पाती है,
क्यों अपनी हार का जिम्मेदार
तू औरों को ठहराती है।
महापराक्रमी रावण भी
जिसके समक्ष लाचार हुआ,
धर्मराज यमराज ने भी
अपना हथियार डाल दिया।
वही सीता सावित्री बनकर
तू जग में गौरव पाती है,
पर क्यों इनके पक्ष को तू
सदा कमजोर दिखाती है।
माना...
