अंधा कानून
भारत की न्याय प्रक्रिया से आहत..
दहक रहे हैं अंगार बन इक-इक आँसू उस बेटी के
धिक्कार है ऐसी मानवता पर, जो बैठा है आँखें मीचे
मोमबत्ती लेकर हाथों में, निकली थी भीड़ यूँ सड़कों पर
मानो रावण और दुशासन का अंत तय है अब धरती पर
आक्रोश जताया मार्च किया न्याय की मांग किया यूँ डटकर
संपूर्ण धरा की नारी शक्ति मानो आई इक जगह सिमटकर
हर दिल में आग धधकती थी आँखों में शोले बरस रहे थे
फाँसी की सजा से कम न हो बस यही माँग सब कर रहे थे
नराधम नीच पापी के लिए इस पावन धरा पर शरण न हो
नारी की मर्यादा के हर्ता का क्यों धड़ से सिर कलम न हो
पर कैसे यह संभव होता जब संरक्षक ही भक्षक बन जाए
बता नाबालिग दुष्ट नराधम को वह जीवनदान दिला लाए
जिस राक्षस ने जीवन छीना उसको रोजी देकर बख्शा
अस्मत तार-तार करने वाले को सिलाई मशीन की सौगात सौंपा
भुजा उखाड़नी थी जिसकी जिसकी जंघा को तोड़ना था
बर्बरता की सीमा लांघ गया था जो उसे किसी हाल न छोड़ना था
पर कानून तो अंधा है उससे ज्यादा अंधी सरकार
निर्भया की चीखों का प्रतिफल अमानुषता के समक्ष हुआ बेकार
जिस कानून को हम रक्षक कहते वह पापियों को भी बचाता है
अरे यूँ ही नही यह न्याय का रक्षक अंधा कानून कहाता है
क्यों आँखें नहीं खुलतीं अब भी क्यों अब भी हौसले हैं बुलंद
क्यों अब भी निर्भया सुरक्षित नहीं दुशासन अब भी घूमते स्वच्छंद
कितनी कुर्बानी लेगा समाज मासूम निर्मल बालाओं की
क्या मानवता मर चुकी है अब जो असर नहीं है आहों की
मानवाधिकार जीने का अधिकार ये करते दूषित हवाओं को
वो इन अधिकारों के हकदार नहीं जो करते नापाक दुआओं को
क्यों जीवनदान मिले उनको जो कोख लजाते माओं की
अधिकार कोई क्यों मिले उन्हें जो अस्मत लूटे ललनाओं की
मालती मिश्रा 'मयंती'✍️
भारत की न्याय प्रक्रिया |
धन्यवाद कुलदीप जी
जवाब देंहटाएंक्रूर और अत्याचार की हद पार होने पर भी कानून सब की सुनता है।
जवाब देंहटाएंनिर्भया केस में फांसी से कम सजा नहीं होगी और ना ही होनी चाहिए।
देर है पर अंधेर नहीं।
अंधा है पर बेहरा नहीं।
सूंदर रचना आक्रोशित भाव।
नई पोस्ट पर आपका स्वागत है- लोकतंत्र
रोहितास जी सकारात्मक प्रतिक्रिया देकर हौसला बढ़ाने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
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