शनिवार

अरु..भाग-६ (१)

अरु..भाग-६ (१)
 गतांक से आगे..उसकी चीख सुनकर अस्मि भागती हुई आई। उसने देखा सौम्या मेज के ऊपर बेसुध पड़ी है, बाल बिखरे हुए थे, उसके हाथ में पेन था और मेज पर तथा नीचे फर्श पर बहुत सारे पन्ने बिखरे पड़े थे। अलंकृता उसे झिंझोड़कर उठाने की कोशिश कर रही थी, अस्मि को देखकर उससे पानी लाने...

बुधवार

अनकहे जख्म

अनकहे जख्म
 जरूरी नहीं कि दर्द उतना ही हो जितना दिखाई देता है,नहीं जरूरी कि सत्य उतना ही हो जितना सुनाई देता है।जरूरी नहीं कि हर व्यथा को हम अश्कों से कह जाएँ,नहीं जरूरी कि दर्द उतने ही हैं जो चुपके से अश्रु में बह जाएँ।दिल में रहने वाले ही जब अपना बन कर छलते हों,संभव है कुछ...

सोमवार

अरु.. भाग -५

अरु.. भाग -५
 गतांक से आगेदूर कहीं से कुत्ते के रोने की आवाज अमावस्या की स्याह रात की नीरवता को भंग कर रही थी। सौम्या को ऐसा लगा जैसे किसी ने उसे झिंझोड़कर जगा दिया हो। उसकी नजर खिड़की से बाहर कालिमा की चादर ओढ़े आसमान पर गई। पूरा आसमां उसके खाली जीवन की तरह सूना था, बहुत दूर कहीं...

शनिवार

अरु... भाग-४

अरु... भाग-४
 "मैं पहले सोचती थी कि आत्महत्या करने वाले कायर होते हैं वो अपनी सारी जिम्मेदारियों से पीछा छुड़ाकर मर जाते हैं। अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने की खातिर परिस्थितियों से लड़ते हुए जूझते हुए जीना बहुत मुश्किल होता है न! लेकिन आज मुझे समझ आ रहा है कि मैं ग़लत थी, आत्महत्या...