कहा जाता है "यत्र नार्यस्य पूज्यंते रमन्ते तत्र देवता" अर्थात् जहाँ नारी पूजी जाती है वहाँ देवताओं का वास होता है। हमारे देश में तो नारी को देवी का दर्जा दिया जाता था, जी हाँ मैं 'था' कहूँगी क्योंकि अब नहीं दिया जाता। अब तो नारियों को गाली दी जाती है और इस कुकृत्य में सिर्फ पुरुष ही शामिल हैं ऐसा कहना गलत होगा। जब स्त्रियाँ किसी सम्माननीय और जिम्मेदार ओहदों पर पहुँच जाती हैं तब उनमें से भी कुछ स्वयं की अर्थात् स्त्री की मर्यादा भूल जाती हैं। स्वयं को देवी के रूप में स्थापित करने का प्रयास करती हैं। वहीं दूसरी ओर कुछ समाज के जिम्मेदार समझे जाने वाले पुरुष स्वयं की मर्यादा भूल कर अपशब्दों का प्रयोग करने लगते हैं। ठीक है आपसे किसी स्त्री का देवी बनना नहीं बर्दाश्त होता तो न सही परंतु स्वयं की मर्यादा का पालन तो करते, आपसे तो वह भी नहीं हुआ तो समाज का मार्गदर्शन क्या करेंगे?
पुरुष तो सदैव से स्त्री पर आधिपत्य जमाने का प्रयास करता रहा है, और तरह-तरह के नियमों रीति-रिवाजों कें बंधन में उसे बाँधने का प्रयास किया जाता रहा है, निःसंदेह इसकी शुरुआत अपने घर से ही किया है, अपने को श्रेष्ठ दर्शाने तथा स्त्री को कमजोर बनाए रखने के लिए अपशब्दों यहाँ तक की शारीरिक प्रताड़ना भी दिया जाता रहा है परंतु अब समय बदल चुका है, सोच बदल रही है, स्त्री जागरूक हो रही है और अपना हित-अहित, मान-सम्मान बखूबी समझती है, ऐसे में यह हमारे राजनेताओं और राजनेत्रियों को भी समझना चाहिए कि जिस शब्द से उनका सम्मान हताहत हो सकता है उसी शब्द से एक साधारण स्त्री का सम्मान भी हताहत हो सकता है, सम्मान सभी का बराबर होता है।
बसपा अध्यक्ष मायावती के लिए बीजेपी नेता दयाशंकर जी ने अभद्र भाषा या टिप्पणी का प्रयोग किया जो कि उन्हें नहीं करना चाहिए था....बीजेपी ने संज्ञान लेते हुए अपने नेता को अपनी पार्टी से ही सस्पेंड कर दिया तथा उ०प्र० सरकार कानूनी कार्यवाही कर रही है, दयाशंकर जी आत्मसमर्पण करने को भी तैयार हैं, उसके बाद आगे की जो कानूनी प्रक्रिया होगी वह तो होगी ही।
अब जवाब में मायावती जी के नेताओं या मैं ये कहूँ कि चाटुकारों ने क्या किया? दयाशंकर जी की बारह साल की बच्ची और उनकी पत्नी को गंदी-गंदी गालियाँ दे रहे हैं उनका अपमान कर रहे हैं!!!!! क्यों? किसलिए? क्या इन सब में उन दोनों का कोई दोष था? या फिर वो मायावती नहीं हैं इसलिए उनको कोई भी कुछ भी कह सकता है? और सोने पर सुहागा तो यह कि मायावती स्वयं को देवी कहने वाली, उन्हें रोक भी नहीं रहीं क्यों???
बदला लेने के लिए जो इस निम्न स्तर तक गिर जाए वो देवी तो क्या इंसान कहलाने योग्य भी नही होता।
बीजेपी ने तो अपने नेता को निकाल दिया, अब क्या मायावती भी ऐसा ही कदम उठा सकती हैं? नहीं करेंगी। क्योंकि वह सिर्फ दिखावा करती हैं राजनीति भी उनके लिए महज स्वयं को सर्वोपरि सिद्ध करने और प्रसिद्ध हासिल करने का जरिया मात्र है अन्यथा अपने सदस्यों को अबतक उन्हें दंडित कर देना चाहिए था।
इतना सबकुछ होने के बाद उनकी ही पार्टी की महिला सदस्य राष्ट्रीय चैनल पर आकर यह करती हैं कि बीजेपी ने उस समय प्रदर्शन क्यों नहीं किया जब 'बहन जी' के खिलाफ उसके सदस्य ने अभद्र टिप्पणी की.... इसका तात्पर्य तो यही हुआ कि बीजेपी ने दंडित करके गलती की उसे प्रदर्शन करना चाहिए था..... और क्योंकि बीजेपी ने प्रदर्शन नही किया तो आप लोग स्त्रियों का अपमान करेंगे.....
अब सवाल यही है कि यदि एक स्त्री ही दूसरी स्त्री के लिए ऐसे विचार रखती है तो स्त्री सम्मान की बात कौन करेगा?
आज किसी राजनीतिक पार्टी की अध्यक्ष का महिला या दलित होना महिलाओं और दलितों के सम्मान का द्योतक नहीं हो सकता। आज महिला ही महिला की शत्रु बनी हुई है, यदि सर्वोपरि कुछ है तो वह है 'सत्ता की भूख'।
यदि सचमुच हम महिलाओं का सम्मान चाहते हैं तो साधारण महिलाओं को स्वयं अपने लिए लड़ना होगा न कि किसी मायावती पर निर्भर रहकर लाचार बने रहने से सम्मान प्राप्त हो जाएगा।
पुरुष तो सदैव से स्त्री पर आधिपत्य जमाने का प्रयास करता रहा है, और तरह-तरह के नियमों रीति-रिवाजों कें बंधन में उसे बाँधने का प्रयास किया जाता रहा है, निःसंदेह इसकी शुरुआत अपने घर से ही किया है, अपने को श्रेष्ठ दर्शाने तथा स्त्री को कमजोर बनाए रखने के लिए अपशब्दों यहाँ तक की शारीरिक प्रताड़ना भी दिया जाता रहा है परंतु अब समय बदल चुका है, सोच बदल रही है, स्त्री जागरूक हो रही है और अपना हित-अहित, मान-सम्मान बखूबी समझती है, ऐसे में यह हमारे राजनेताओं और राजनेत्रियों को भी समझना चाहिए कि जिस शब्द से उनका सम्मान हताहत हो सकता है उसी शब्द से एक साधारण स्त्री का सम्मान भी हताहत हो सकता है, सम्मान सभी का बराबर होता है।
बसपा अध्यक्ष मायावती के लिए बीजेपी नेता दयाशंकर जी ने अभद्र भाषा या टिप्पणी का प्रयोग किया जो कि उन्हें नहीं करना चाहिए था....बीजेपी ने संज्ञान लेते हुए अपने नेता को अपनी पार्टी से ही सस्पेंड कर दिया तथा उ०प्र० सरकार कानूनी कार्यवाही कर रही है, दयाशंकर जी आत्मसमर्पण करने को भी तैयार हैं, उसके बाद आगे की जो कानूनी प्रक्रिया होगी वह तो होगी ही।
अब जवाब में मायावती जी के नेताओं या मैं ये कहूँ कि चाटुकारों ने क्या किया? दयाशंकर जी की बारह साल की बच्ची और उनकी पत्नी को गंदी-गंदी गालियाँ दे रहे हैं उनका अपमान कर रहे हैं!!!!! क्यों? किसलिए? क्या इन सब में उन दोनों का कोई दोष था? या फिर वो मायावती नहीं हैं इसलिए उनको कोई भी कुछ भी कह सकता है? और सोने पर सुहागा तो यह कि मायावती स्वयं को देवी कहने वाली, उन्हें रोक भी नहीं रहीं क्यों???
बदला लेने के लिए जो इस निम्न स्तर तक गिर जाए वो देवी तो क्या इंसान कहलाने योग्य भी नही होता।
बीजेपी ने तो अपने नेता को निकाल दिया, अब क्या मायावती भी ऐसा ही कदम उठा सकती हैं? नहीं करेंगी। क्योंकि वह सिर्फ दिखावा करती हैं राजनीति भी उनके लिए महज स्वयं को सर्वोपरि सिद्ध करने और प्रसिद्ध हासिल करने का जरिया मात्र है अन्यथा अपने सदस्यों को अबतक उन्हें दंडित कर देना चाहिए था।
इतना सबकुछ होने के बाद उनकी ही पार्टी की महिला सदस्य राष्ट्रीय चैनल पर आकर यह करती हैं कि बीजेपी ने उस समय प्रदर्शन क्यों नहीं किया जब 'बहन जी' के खिलाफ उसके सदस्य ने अभद्र टिप्पणी की.... इसका तात्पर्य तो यही हुआ कि बीजेपी ने दंडित करके गलती की उसे प्रदर्शन करना चाहिए था..... और क्योंकि बीजेपी ने प्रदर्शन नही किया तो आप लोग स्त्रियों का अपमान करेंगे.....
अब सवाल यही है कि यदि एक स्त्री ही दूसरी स्त्री के लिए ऐसे विचार रखती है तो स्त्री सम्मान की बात कौन करेगा?
आज किसी राजनीतिक पार्टी की अध्यक्ष का महिला या दलित होना महिलाओं और दलितों के सम्मान का द्योतक नहीं हो सकता। आज महिला ही महिला की शत्रु बनी हुई है, यदि सर्वोपरि कुछ है तो वह है 'सत्ता की भूख'।
यदि सचमुच हम महिलाओं का सम्मान चाहते हैं तो साधारण महिलाओं को स्वयं अपने लिए लड़ना होगा न कि किसी मायावती पर निर्भर रहकर लाचार बने रहने से सम्मान प्राप्त हो जाएगा।
मालती मिश्रा
आपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 25 जुलाई 2016 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंअवश्य दिग्विजय जी। धन्यवाद मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए ।
हटाएंअवश्य दिग्विजय जी। धन्यवाद मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए ।
हटाएंअपनी लड़ाई खुद ही लड़नी होगी ..
जवाब देंहटाएंसत्य कहा Kavita Rawatजी। बहुत-बहुत आभार आपकी टिप्पणी के लिए।
हटाएंसत्य कहा Kavita Rawatजी। बहुत-बहुत आभार आपकी टिप्पणी के लिए।
हटाएंबहुत ही सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको . कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
जवाब देंहटाएंhttps://www.facebook.com/MadanMohanSaxena
ब्लॉग पर आकर अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद मदन मोहन सक्सेना जी।
हटाएंब्लॉग पर आकर अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद मदन मोहन सक्सेना जी।
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