शहरों की इस चकाचौंध में
गाँवों की सादगी ही खो गई
जगमग करते रंगीन लड़ियों में
अंबर के टिमटिमाते तारे खो गए।
लाउड-स्पीकर की तेज ध्वनि में
अपनापन लुटाती पुकार खो गई
डीजे की तेज कर्कश संगीत में
ढोल और तबले की थाप खो गई।
प्रतिस्पर्धा की होड़ में देखो
आपस का प्रेम-सद्भाव...
गाँवों की सादगी खो गई
