शहरों की इस चकाचौंध में
गाँवों की सादगी ही खो गई
जगमग करते रंगीन लड़ियों में
अंबर के टिमटिमाते तारे खो गए।
लाउड-स्पीकर की तेज ध्वनि में
अपनापन लुटाती पुकार खो गई
डीजे की तेज कर्कश संगीत में
ढोल और तबले की थाप खो गई।
प्रतिस्पर्धा की होड़ में देखो
आपस का प्रेम-सद्भाव खो गया
भागमभाग भरे शहरों में
गाँवों का मेल-मिलाप खो गया।
मोटर-गाड़ियों के तेज हॉर्न में
बैलों के गले की घंटी खो गई
ए०सी०, कूलर की हवा में देखो
प्राकृतिक शीतल बयार खो गई।
नही रही पनघट की रौनक
नदिया का वो तीर खो गया
वहाँ खड़े वृक्षों को़े उर में
सिसक-सिसक कर पीर खो गया।
हल काँधे पर रख कर के
गाता हुआ किसान खो गया
गोधूलि की बेला में बजता
मीठा-मीठा तान खो गया।
मालती मिश्रा
गाँवों की सादगी ही खो गई
जगमग करते रंगीन लड़ियों में
अंबर के टिमटिमाते तारे खो गए।
लाउड-स्पीकर की तेज ध्वनि में
अपनापन लुटाती पुकार खो गई
डीजे की तेज कर्कश संगीत में
ढोल और तबले की थाप खो गई।
प्रतिस्पर्धा की होड़ में देखो
आपस का प्रेम-सद्भाव खो गया
भागमभाग भरे शहरों में
गाँवों का मेल-मिलाप खो गया।
मोटर-गाड़ियों के तेज हॉर्न में
बैलों के गले की घंटी खो गई
ए०सी०, कूलर की हवा में देखो
प्राकृतिक शीतल बयार खो गई।
नही रही पनघट की रौनक
नदिया का वो तीर खो गया
वहाँ खड़े वृक्षों को़े उर में
सिसक-सिसक कर पीर खो गया।
हल काँधे पर रख कर के
गाता हुआ किसान खो गया
गोधूलि की बेला में बजता
मीठा-मीठा तान खो गया।
मालती मिश्रा
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रस्तुति..
पम्मी जी बहुत-बहुत आभार
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