जीना नहीं है आसान खुद को भुला करके
नया शख्स बनाना है खुद को मिटा करके
मिटाकर दिलो दीवार से यादों के मधुर पल
इबारत है नई लिखनी पुरानी को मिटा करके
माना कि जी रहे हम दुनिया की नजर में
चाँद भी मुस्काया मेरी हस्ती को मिटा करके
भाती बहुत हैं मन को गगन चूमती इमारतें
रखी नींव ख़्वाहिशों की बस्ती को मिटा करके
सपनों का घर बसाना आसां नहीं जहां में
नया आशियाँ है बनता औरों का मिटा करके
मालती मिश्रा 'मयंती'✍️
नया शख्स बनाना है खुद को मिटा करके
मिटाकर दिलो दीवार से यादों के मधुर पल
इबारत है नई लिखनी पुरानी को मिटा करके
माना कि जी रहे हम दुनिया की नजर में
चाँद भी मुस्काया मेरी हस्ती को मिटा करके
भाती बहुत हैं मन को गगन चूमती इमारतें
रखी नींव ख़्वाहिशों की बस्ती को मिटा करके
सपनों का घर बसाना आसां नहीं जहां में
नया आशियाँ है बनता औरों का मिटा करके
मालती मिश्रा 'मयंती'✍️
सपनों का घर बसाना आसां नहीं जहां में
जवाब देंहटाएंनया आशियाँ है बनता औरों का मिटा करके
बेहतरीन रचना 🙏
आदरणीया बहुत-बहुत आभार आपका, सदा स्नेह बनाए रखें लेखनी को ऊर्जा मिलती है।🙏
हटाएंवाह!!! बहुत खूब .... बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंमेरा उत्साह बढ़ाने के लिए दिल से आभार नीतू जी🙏
हटाएंहम अपनी ही सीढियाँ कुचलकर उपर जा पाते हैं.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना.
रंगसाज़
हौसलाअफजाई के लिए हार्दिक आभार रोहितास जी।
हटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 30 सितम्बर 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आ० सूचित करने के लिए और मेरी कृति को शामिल करने के लिए।
हटाएंबहुत ही सुन्दर 👌
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अनीता जी
हटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय
हटाएंसपनों का घर बसाना आसां नहीं जहां में
जवाब देंहटाएंनया आशियाँ है बनता औरों का मिटा करके
वाह शानदार रचना
बहुत-बहुत धन्यवाद अनुराधा जी।
हटाएंवाह!!!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ....बहुत लाजवाब...
सस्नेह आभार सुधा जी🙏
हटाएंवाहहह... बेहतरीन कृति मालती जी👌👌
जवाब देंहटाएंबहुत खुशी आपको ब्लॉग पर देखकर श्वेता जी, बहुत-बहुत आभार🙏
हटाएंवाह बहुत खूब मीता शानदार ।
जवाब देंहटाएंआभार मीता, आप तो मेरी ऊर्जा स्रोत हो😊
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