देश के लाल 'लाल बहादुर शास्त्री' और बापू जी की जयंती के पावन अवसर पर दोनों को शत-शत वंदन🙏
✍️
एक लाल है इस देश का तो दूजे इसके पिता बने,
अपने मतानुसार दोनों ने, अपने-अपने कर्म चुने।
सत्य अहिंसा का इक प्रेरक दूजा कर्मयोग सिखलाए,
जय-जवान, जय-किसान का उद्घोष जन-जन तक फैलाए।
स्वाधीन स्वावलंबी देश हो दोनों का बस लक्ष्य यही,
तन मन धन सब था अर्पित कि गौरवशाली हो मातृमही।
सत्य अहिंसा का नारा सुनने में अच्छा लगता है,
किन्तु आज की है सच्चाई झूठ ही सच्चा लगता है।
जो तुमको यूँ अपना कहकर अपनी दुकान चलाते हैं,
हिंसा और असत्य को आज वही हथियार बनाते हैं।
अच्छा हुआ तुम नहीं धरा पर आज यहाँ हो बापू जी,
देख दशा इस कर्मभूमि की रोते खून के आँसू जी।
जगह-जगह कचरा फैलाकर भारत को शर्मिंदा करते,
स्वच्छता के प्रेरक बापू के जन्मदिवस का दम भरते।
मालती मिश्रा 'मयंती'✍️
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एक लाल है इस देश का तो दूजे इसके पिता बने,
अपने मतानुसार दोनों ने, अपने-अपने कर्म चुने।
सत्य अहिंसा का इक प्रेरक दूजा कर्मयोग सिखलाए,
जय-जवान, जय-किसान का उद्घोष जन-जन तक फैलाए।
स्वाधीन स्वावलंबी देश हो दोनों का बस लक्ष्य यही,
तन मन धन सब था अर्पित कि गौरवशाली हो मातृमही।
सत्य अहिंसा का नारा सुनने में अच्छा लगता है,
किन्तु आज की है सच्चाई झूठ ही सच्चा लगता है।
जो तुमको यूँ अपना कहकर अपनी दुकान चलाते हैं,
हिंसा और असत्य को आज वही हथियार बनाते हैं।
अच्छा हुआ तुम नहीं धरा पर आज यहाँ हो बापू जी,
देख दशा इस कर्मभूमि की रोते खून के आँसू जी।
जगह-जगह कचरा फैलाकर भारत को शर्मिंदा करते,
स्वच्छता के प्रेरक बापू के जन्मदिवस का दम भरते।
मालती मिश्रा 'मयंती'✍️
खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत आभार आदरणीय।
हटाएंसादर आभार दिलबाग विर्क जी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सामयिक रचना
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीया🙏
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