चारो ओर घना अंधेरा फैल चुका था हाथ को हाध सुझाई नही दे रहे थे। ऐसे में चारों ओर भयानक सन्नाटा पसरा था। बादलों की गड़गड़ाहट से आत्मा थर्रा जाती। रह-रह कर बिजली यूँ कड़कड़ाती मानो अभी धरती पर गिर कर सब कुछ भस्म कर देगी। बूँदा-बाँदी शुरू हो चुकी थी। पगडंडी के दोनो ओर खड़े...
फ़र्ज
