शनिवार

विश्वगुरु बन था उभरा, अपना देश महान।
गद्दारों के स्वार्थ में,  बना रहा गुमनाम।।

जीवन में जीता वही, जिसने न मानी हार।
पार हुआ तूफानों से, ले धैर्य की पतवार।।
#मालतीमिश्रा

14 टिप्‍पणियां:

  1. जय मां हाटेशवरी...
    अनेक रचनाएं पढ़ी...
    पर आप की रचना पसंद आयी...
    हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
    इस लिये आप की रचना...
    दिनांक 15/04/2018 को
    पांच लिंकों का आनंद
    पर लिंक की गयी है...
    इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।

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  2. बहुत खूब... वाह्ह्ह्ह्

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  3. बहुत सुन्दर ...उम्दा...
    वाह!!!

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    1. सुधा जी हृदयतल से आभार व्यक्त कर रही हूँ। ब्लॉग पर आपका आना मन प्रसन्नता से खिल जाता है। ऐसे ही स्नेह बनाए रखें।🙏

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  4. बहुत ही बढ़िया...विश्‍वगुरु की राह में कौन कौन था रोड़ा...

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    1. अलकनंदा जी ब्लॉग पर आपका स्वागत है, बहुत-बहुत आभार🙏 शुभ संध्या

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  5. सुंदर पंक्तियाँ प्रिय मालती जी |सस्नेह --

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    1. हार्दिक आभार रेनू जी, बहुत प्रसन्नता हुई आपकी प्रतिक्रिया जानकर, स्नेह बनाए रखें, शुभ संध्या🙏

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  6. बहुत सुंदर कथन थोडे मे विशाल ।

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    1. मीता आपको ब्लॉग पर देख कर मन गद्गगद् हो जाता है, आपकी उपस्थिति ही मेरे लिए प्रोत्साहन बन जाता है। शुभ संध्या मीता🙏🙏

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  7. उत्तर
    1. बहुत-बहुत शुक्रिया शुभा जी। शुभ संध्या🙏🙏

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