नारी तू ही जग जननी, तुझमें शक्ति अपार।
तुझसे ही जीवन चले, चलता है संसार।।
मत जी तू आश्रित बनकर, अपने को पहचान।
नहीं किसी से हीन तू, गर मन में ले ठान।।
तुझसे ही जीवन चले, चलता है संसार।।
मत जी तू आश्रित बनकर, अपने को पहचान।
नहीं किसी से हीन तू, गर मन में ले ठान।।
बहुत बहुत सुंदर आदरणिया अनुजा
जवाब देंहटाएंअति आभार भाई सा। शुभ रात्रि
हटाएंसादर आभार भाई सा🙏🙏🙏🙏
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जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 11अप्रैल 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
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मेरी पंक्तियों को शामिल करने और सूचित करने के लिए बहुत-बहुत आभार।
हटाएंसच लिखा है ...
जवाब देंहटाएंनारी शक्ति है संसार को दिशा देती है ... अपनी शक्ति को पहचानना जरूरी है ....
आदरणीय, पंक्तियों के माध्यम से आपके आशीर्वचनों ने मुझे प्रोत्साहित किया। हार्दिक आभार🙏
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