रविवार

नारी तू ही जग जननी, तुझमें शक्ति अपार।
तुझसे ही जीवन चले, चलता है संसार।।

मत जी तू आश्रित बनकर, अपने को पहचान।
नहीं किसी से हीन तू, गर मन में ले ठान।।

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7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बहुत सुंदर आदरणिया अनुजा

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  2. आपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 11अप्रैल 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!





    ......


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    1. मेरी पंक्तियों को शामिल करने और सूचित करने के लिए बहुत-बहुत आभार।

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  3. सच लिखा है ...
    नारी शक्ति है संसार को दिशा देती है ... अपनी शक्ति को पहचानना जरूरी है ....

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    उत्तर
    1. आदरणीय, पंक्तियों के माध्यम से आपके आशीर्वचनों ने मुझे प्रोत्साहित किया। हार्दिक आभार🙏

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