हम भारत के वासी हैं
ये सदा गर्व से कहते हैं,
पर वीर जवानों के कारण ही
हम सदा सुरक्षित रहते हैं।
स्वजनों का स्नेह छोड़कर
ये सीमा पर डटे ये रहते हैं,
सर्दी गर्मी या वर्षा हो
सब हंस-हंस कर सहते हैं।
हम चैन से घरों मे सोते हैं क्योंकि
वो रातों को जागते हैं,
घर की सुरक्षा देकर हमको
खुद खुले अंबर तले रहते हैं।
हमारी सुरक्षा की खातिर वो
अपनी परवाह न करते हैं
आंधी, शीत, वर्षा या तूफां
सदा उपस्थित रहते हैं।
हे भारत नंदन वीर धरा के
मैं तुमको अभिनंदन करती,
एक-एक बलिदान तुम्हारे
को शत-शत वंदन करती।।
ये सदा गर्व से कहते हैं,
पर वीर जवानों के कारण ही
हम सदा सुरक्षित रहते हैं।
स्वजनों का स्नेह छोड़कर
ये सीमा पर डटे ये रहते हैं,
सर्दी गर्मी या वर्षा हो
सब हंस-हंस कर सहते हैं।
हम चैन से घरों मे सोते हैं क्योंकि
वो रातों को जागते हैं,
घर की सुरक्षा देकर हमको
खुद खुले अंबर तले रहते हैं।
हमारी सुरक्षा की खातिर वो
अपनी परवाह न करते हैं
आंधी, शीत, वर्षा या तूफां
सदा उपस्थित रहते हैं।
हे भारत नंदन वीर धरा के
मैं तुमको अभिनंदन करती,
एक-एक बलिदान तुम्हारे
को शत-शत वंदन करती।।
मालती मिश्रा 'मयंती'✍️
धन्यवाद हर्षवर्धन
जवाब देंहटाएंसुंदर सृजन
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद अमित जी
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