सोमवार

भारत की मौजूदा स्थिति

 भारत की मौजूदा स्थिति


यह विषय अत्यंत वृहद् और विचारणीय है। यदि अतीत में भारत की स्थिति देखें तो यह बेहद संपन्न, प्रतिभाशाली और प्रभावशाली रहा है। शैक्षिक और वैज्ञानिक दृष्टि से भी अग्रणी भूमिका का निर्वहन किया, किन्तु सदियों से धार्मिक, आर्थिक, शैक्षणिक और वैचारिक चौतरफा प्रहार ने इसकी प्रचीन गरिमा को भारी क्षति पहुँचाई। देश के लिए यह अधिक दुखद रहा कि इसके अपनों ने ही स्वार्थान्ध होकर देश के विकास को पीछे छोड़कर अपने निजी विकास में लीन हो गए और इस प्रक्रिया में देश की जड़ें खोदने लगे। कुछ जियाले इस संपूर्ण स्वार्थजनित प्रक्रिया को भाँपकर देश की गरिमा को बचाए रखने के प्रयास में निरंतर क्रियाशील रहे परंतु इनकी संख्या बहुत ही कम रही। साथ ही 'जिसकी लाठी उसकी भैंस' वाली कहावत भी चरितार्थ होती रही, आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक रेप शक्तिशाली के समक्ष चंद मुट्ठी भर राष्ट्रवादी जियालों का प्रयास सफलीभूत होने में सदियाँ लग गईं। वर्तमान में सोशल मीडिया के कारण लोगों में जागरूकता की लहर तेज हो गई हो और अपने देश व संस्कृति के प्रति सम्मान की भावना पुन: जागृत हो गई है। साथ ही यह सोशल मीडिया का ही प्रभाव है कि लोग खुलकर अपने विचार रखते हैं जिससे सकारात्मक और नकारात्मक विचारधाराएँ सामने आ रही हैं और देश को दीमक बनकर खोखला करने वालों के चेहरे सबके समक्ष अनावृत हो रहे हैं। आज भारत पर चौतरफा प्रहार करने का प्रयास किया जा रहा है आंतरिक और बाह्य गतिविधियाँ सभी अब साफ-साफ दृष्टिगत हैं। श्रषि मुनियों का यह देश अब धर्म गुरुओं का देश बन गया है, कुछ चीजें आज भी ज्यों की त्यों है हमारे देश में जयचंद पहले भी थे और आज भी हैं जिनके कारण देश को सदैव क्षति उठानी पड़ी है। 


वर्तमान परिस्थितियों में जहाँ विश्व कोरोना से जूझ रहा है हमारे देश में निराशाजनक घटनाओं की भी कमी नहीं है, धर्म और जाति के नाम पर देश को खोखला करने का प्रयास भी अपने चरम पर है जो विकास के मार्ग का सबसे बड़ा अवरोध है। यह जनता का कर्तव्य है कि धर्म और जातिगत भेदभाव को दूसरे पायदान पर रखकर सर्वप्रथम देशहित सोचें तो आधी समस्या तो यूँ ही हल हो जाएगी। 


किन्तु संतोषजनक बात ये है कि जागरूकता बढ़ चुकी है। असंख्य प्रहार के बाद भी देश विकास के मार्ग पर सतत प्रयत्नशील है। वैश्विक स्तर पर संबंधों में सुधार और कुछ हद तक नेतृत्व की ओर अग्रसर हुआ है। कोरोना जैसी वैश्विक महामारी ने जहाँ सभी देशों की कमर तोड़ दी है जिससे हमारा देश भी अछूता नहीं है, वहीं ऐसे समय में भी देश ने आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाया है जो अंधेरे में आशा की ज्योतिपुंज की भाँति है। हम देशवासियों का कर्तव्य है की हम भी सकारात्मक अवसर खोजें और विकास में योगदान दें। यह समय आपस में मिलजुलकर एक-दूसरे का सहयोग करते हुए आगे बढ़ने का है, इसलिए भाईचारे की भावना को प्रबल बनाएँ, विवादों को भूलकर सहयोग के लिए हाथ बढ़ाएँ।


मालती मिश्रा 'मयंती'✍️


4 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (25 -8 -2020 ) को "उगने लगे बबूल" (चर्चा अंक-3804) पर भी होगी,आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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    कामिनी सिन्हा

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