मंगलवार

उपन्यास कैसे लिखें

उपन्यास कैसे लिखें
 उपन्यास लिखने के चरणएक उपन्यास लिखना एक कठिन काम हो सकता है, लेकिन इसे प्रबंधनीय चरणों में विभाजित करने से प्रक्रिया को और अधिक प्रबंधनीय बनाने में मदद मिल सकती है। उपन्यास लिखते समय विचार करने के लिए यहां कुछ बुनियादी कदम दिए गए हैं:विचार-मंथन और रूपरेखा: अपनी...

रविवार

अरु.. (भाग-१)

अरु.. (भाग-१)
उपन्यास...इस उपन्यास के माध्यम से आइए चलते हैं अरुंधती के साथ उसके सफर पर.. दिसंबर की कड़ाके की सर्द शाम थी अभी सिर्फ छ: बजे थे लेकिन ऐसा प्रतीत हो रहा था कि बहुत रात हो गई है। सड़क के मध्य डिवाइडर पर लगे बिजली के खंभों में लगे मरकरी की दूधिया रोशनी और गाड़ियों की...

पुस्तक कैसे लिखें..

पुस्तक कैसे लिखें..
 पुस्तक कैसे लिखें..पुस्तक लेखन एक लिखित कार्य बनाने की प्रक्रिया है जिसे पाठकों के आनंद लेने के लिए प्रकाशित और वितरित किया जा सकता है। किताब लिखना एक चुनौतीपूर्ण और समय लेने वाला काम हो सकता है, लेकिन यह उन लोगों के लिए एक पुरस्कृत अनुभव भी हो सकता है जिनके पास बताने...

शनिवार

शिव वंदना

शिव वंदना
हे शंभु अब करो कृपाप्रभु आप हरो सबकी विपदा...हे गंगाधर हे गिरिवासीहे शशिशेखर हे अविनाशीहे मृत्युंजय कैलाशपतिहरो विपद हमारे उमापति।हे नीलकंठ हे महादेवहे अविनाशी हे वामदेवहम आए तिहारी शरण प्रभुकरो दूर कष्ट देवादिदेव...रोता अंबर रोती धरतीत्राहि-त्राहि दुनिया करतीहे तारकेश...

शुक्रवार

कहाँ जा रहे आज के बच्चे

कहाँ जा रहे आज के बच्चे
 कहाँ जा रहे आज के बच्चे (4/5/22)  प्रातःकालीन निर्मलता की चादर ओढ़े धरती पर नाजुक कोपलों पर झिलमिलाते पावन ओस की बूँदों की तरह निर्मल, निश्छल और कोमल होता है बचपन, जो उदीयमान बाल सूर्य की शांत नर्म और रुपहली किरणों के स्पर्श से मोती की मानिंद जगमगा उठता है...

रविवार

धार्मिक कानून बड़ा या देश

धार्मिक कानून बड़ा या देश
 धार्मिक कानून बड़ा या देशहम जिस घर में जन्म लेते हैं, जहाँ हमारा पालन-पोषण होता है, जिस चारदीवारी में हम घुटनों के बल चले, खड़े हुए, लड़खड़ाए, गिरे और फिर उठकर चले और धीरे-धीरे उस घर की मिट्टी की खुशबू हमारी साँसों में बसती गई, उस घर की छत ने हमें सर्दी, गरमी, धूप और...

शनिवार

बढ़ती असहिष्णुता के कारण और निवारण

बढ़ती असहिष्णुता के कारण और निवारण
 बढ़ती असहिष्णुता के कारण और निवारण वसुधैव कुटुंबकम् की मान्यता का अनुसरण करने वाले हमारे देश में अनेक विविधताओं के बाद भी सांस्कृतिक सह अस्तित्व की विशेषताएँ देखी जा सकती हैं। यहाँ के लोग नए परिवेश के साथ आसानी से सिर्फ घुल-मिल ही नहीं जाते, बल्कि उनकी विशिष्टताओं...

प्रकृति के नैसर्गिक रूप को बिगाड़ कर विकास संभव नहीं

प्रकृति के नैसर्गिक रूप को बिगाड़ कर विकास संभव नहीं
 प्रकृति के नैसर्गिक रूप को बिगाड़कर विकास संभव नहींपर्यावरण प्रदूषण किसी एक देश नहीं बल्कि विश्व के सामने व्यापक समस्या बनकर खड़ा है। इसीलिए पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण के प्रति सामाजिक और राजनीतिक जागरूकता लाने के उद्देश्य से 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया...

मंगलवार

सुनो-गुनो फिर बुनो

सुनो-गुनो फिर बुनो
 सुनो-गुनो-फिर बुनोदीपक ने आते ही खुशी से उछलते हुए अपनी माँ को धन्यवाद कहा और अपना बस्ता जगह पर रखा। उसको खुश देखकर प्रज्ञा भी खुश हो गई। उसे ऐसे खुश देखे हुए कई दिन हो गए थे। उसका बेटा दसवीं कक्षा का होनहार विद्यार्थी है, वह पिछले कुछ वर्षों से लगातार अपनी कक्षा...