भारतीय किसान
देशभक्तों की पहचान बन गया जिसका नारा
आज वही भारत गौरव कहलाता है...'बेचारा'
हल, फावड़ा, खुरपी, हंसिया जिसके हैं औजार
समाज के चंद ठेकेदारों ने किया उसका ही शिकार
खून-पसीने से सींच-सीच खेतों में अन्न उगाता है
दुनिया का पेट भरने वाला खुद भूखा सो जाता है
सैनिक देश का रक्षक है गर तो किसान बना है पोषक
अपने स्वार्थ की रोटी सेकने को आगे आते शोषक
जय-जवान, जय-किसान बन गया जिस देश का नारा
आज उसी देश का किसान कहा जाता है...'बेचारा'
मेहनतकश धरती-पुत्र किसान, धरती माँ जिसका स्वाभिमान
कर्तव्यों से बँध कर भी अधिकारों की नही पहचान
जो देता रहा औरों को सहारा
आज वही धरणी-सुत किसान कहलाता है...'बेचारा'
उसकी मेहनत, उसकी हिम्मत ही है उसका सम्मान
बंगला, गाड़ी, हीरे, मोती का उसको नहीं अरमान
छत टपकती कच्चे घर की फिरभी दुआ माँगता बारिश की
वो चढ़ गया बलि महत्वाकांक्षा की,
न सुनी किसी ने उसकी पुकार
बन गया चंद जयचंदों की स्वार्थ की मछली का चारा
आज वही हिन्द का गौरव किसान बन गया देखो...'बेचारा'
झूठे सपने दिखा-दिखा कर किया दिग्भ्रमित कर्तव्यों से
सत्ता के अंधे युग-पुरुष ने छोड़ा न कोई और चारा
वो भारत-गौरव 'भारतीय किसान' बनता जा रहा...'बेचारा'
बनता जा रहा...बेचारा.....
Malti Mishra
देशभक्तों की पहचान बन गया जिसका नारा
आज वही भारत गौरव कहलाता है...'बेचारा'
हल, फावड़ा, खुरपी, हंसिया जिसके हैं औजार
समाज के चंद ठेकेदारों ने किया उसका ही शिकार
खून-पसीने से सींच-सीच खेतों में अन्न उगाता है
दुनिया का पेट भरने वाला खुद भूखा सो जाता है
सैनिक देश का रक्षक है गर तो किसान बना है पोषक
अपने स्वार्थ की रोटी सेकने को आगे आते शोषक
जय-जवान, जय-किसान बन गया जिस देश का नारा
आज उसी देश का किसान कहा जाता है...'बेचारा'
मेहनतकश धरती-पुत्र किसान, धरती माँ जिसका स्वाभिमान
कर्तव्यों से बँध कर भी अधिकारों की नही पहचान
जो देता रहा औरों को सहारा
आज वही धरणी-सुत किसान कहलाता है...'बेचारा'
उसकी मेहनत, उसकी हिम्मत ही है उसका सम्मान
बंगला, गाड़ी, हीरे, मोती का उसको नहीं अरमान
छत टपकती कच्चे घर की फिरभी दुआ माँगता बारिश की
वो चढ़ गया बलि महत्वाकांक्षा की,
न सुनी किसी ने उसकी पुकार
बन गया चंद जयचंदों की स्वार्थ की मछली का चारा
आज वही हिन्द का गौरव किसान बन गया देखो...'बेचारा'
झूठे सपने दिखा-दिखा कर किया दिग्भ्रमित कर्तव्यों से
सत्ता के अंधे युग-पुरुष ने छोड़ा न कोई और चारा
वो भारत-गौरव 'भारतीय किसान' बनता जा रहा...'बेचारा'
बनता जा रहा...बेचारा.....
Malti Mishra
भारतीय किसान सदैव से समाज का एक अभिन्न और महत्वपूर्ण अंग रहा है किन्तु आजकल राजनीति के कारण उसकी स्थिति दयनाय होती जा रही है, मेरी ये किसान की इसी दशा को दर्शाती हैं...
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसार्थक
जवाब देंहटाएंधन्यवाद राकेश कौशिक जी
जवाब देंहटाएंआपकी इस रचना की जितनी तारीफ की जाए कम है। पूरी तरह सार्थक रचना।
जवाब देंहटाएंहौसला आफ़जाई के लिए धन्यवाद Jamshed Azmi ji
जवाब देंहटाएंकिसानों की दशा को दर्शाती सार्थक रचना।
जवाब देंहटाएंकिसानों की दशा को दर्शाती सार्थक रचना।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद राजेश जी,आपकी टिप्पणी मेरे लिए अनमोल है
जवाब देंहटाएंधन्यवाद राजेश जी,आपकी टिप्पणी मेरे लिए अनमोल है
जवाब देंहटाएंLooking to publish Online Books, in Ebook and paperback version, publish book with best
जवाब देंहटाएंGet 20% on Paperback package