शनिवार

दर्द से रिश्ता

दर्द से रिश्ता
क्यों भागते हैं लोग खुशियों के पीछे खुशियाँ तो हैं छलावा, छिपा कर दर्द दिल में करते हैं सब दिखावा चिपका कर होठों पर झूठी मुस्कान लिए फिरते हैं दिल में दर्दोंं का तूफान फिर भी खुशियों को ही मानके अपना सच्चा हमसफर, दुखों से छुड़ाते रहते दामन दर्द कहता सच्चा...

बुधवार

किस ओर जा रहा देश मेरा......

किस ओर जा रहा देश मेरा......
किस ओर जा रहा देश ये मेरा..... जिसने दिया शून्य का ज्ञान जिसपर करते थे हम मान जो कहलाया विश्व गुरू विज्ञान का जहाँ से जन्म शुरू सत्ता के लोभी जीवों ने  डाला इस पर डेरा... किस ओर जा रहा देश ये मेरा... कालिदास, पाणिनी से विद्वान आर्यभट्ट, चाणक्य महान इस...

शुक्रवार

गुरुवार

ढूँढ़ते रह जाओगे

ढूँढ़ते रह जाओगे
ईमानदारी की बातें  सुकून भरी रातें मानवता की सौगातें ढूँढ़ते रह जाओगे गिरते हुए दाम दफ्तरों में काम  जगत् गुरु का नाम ढूँढ़ते रह जाओगे सस्ती शिक्षा मुफ्त में गुरु की दीक्षा निस्वार्थ समीक्षा ढूँढ़ते रह जाओगे नेताओं में देशभक्ति लेखकों...

बुधवार

यह सत्य सनातन है कि अच्छाई को बार-बार परीक्षा के मार्ग से गुजरना पड़ता है किंतु यह भी सत्य है कि बार-बार आग में तपने के बाद सोना कुंदन बन जाता है | जब सतयुग में भी सत्य को परीक्षा के दुर्गम मार्गों पर चलना पड़ता था तो यह तो कलयुग है फिर आज यदि हम सिर्फ यह सोचकर कि "जीत...

मंगलवार

                                      अपने ही देश मे गर पाना है सम्मान  छोड़-छाड़कर धर्म अपना सब बन जाओ खान शाकाहारी भोजन करना मानवता का अपमान गौ माता का वध करना...

रविवार

वापसी की ओर

वापसी की ओर
गाड़ी धीरे-धीरे सरकती हुई प्लेटफॉर्म पर रुक गई, एक हाथ में अटैची और दूसरे हाथ से बैग को कंधे पर लटकाते हुए उसने गाड़ी से नीचे प्लेटफार्म पर पैर रखा ही था कि बाबूजी कुली..एक बूढ़े से व्यक्ति ने पास आते हुए पूछा, वह व्यक्ति इतना कमजोर था कि शरीर का मांस इस कदर सूख चुका...