क्यों भागते हैं लोग खुशियों के पीछे
खुशियाँ तो हैं छलावा,
छिपा कर दर्द दिल में
करते हैं सब दिखावा
चिपका कर होठों पर झूठी मुस्कान
लिए फिरते हैं दिल में दर्दोंं का तूफान
फिर भी खुशियों को ही मानके
अपना सच्चा हमसफर,
दुखों से छुड़ाते रहते दामन
दर्द कहता सच्चा...
दर्द से रिश्ता
