बापू की लाडो मैं थी
पली बड़ी नाजों में थी
क्यों विधना ने रीत बनाई
बेटी क्यों होती है पराई
ससुर में देखूँ छवि पिता की
बाबुल तुमने यही समझाया
पिता ससुर ने सालों से
मुझको परदे में ही छिपाया
क्या मेरी शक्लो-सूरत बुरी है
जो मेरी किस्मत...
बेटी क्यों होती है पराई....
