शनिवार

सांसों के पन्नों पर....

सांसों के हर इक पन्ने पर
लिखी एक नई कहानी है,
पढ़ता तो हर व्यक्ति है इसको
पर सबने मर्म न जानी है।
स्वार्थ पूर्ति महज नही है
ध्येय हमारे जीवन का,
परोपकार सत्कर्म हेतु ही
सांसों की रवानी है। 
आँखों में छवि मानवता की
जिह्वा पर हरि बानी है,
चरण उठें सेवा करने को
हाथ हमारे दानी हैं।
अक्षर ज्ञान से हीन भले हो
पर जिसने मर्म ये जान लिया,
गरिमामयी संस्कृति का वाहक
वो ज्ञानियों में ज्ञानी है।
सांसों के..........

मालती मिश्रा

6 टिप्‍पणियां:

  1. सकारात्मक विचारों का सम्प्रेषण करती एक सुन्दर रचना। मुझे अच्छी लगी।

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    1. नमन मनीष जी, आपका की प्रतिक्रिया मेरे लिए अमूल्य है।

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    2. नमन मनीष जी, आपका की प्रतिक्रिया मेरे लिए अमूल्य है।

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  2. ..............सुन्दर रचना।
    कभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-
    संजय भास्‍कर
    शब्दों की मुस्कुराहट
    http://sanjaybhaskar.blogspot.in

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    उत्तर
    1. जरूर, बहुत-बहुत आभार संजय जी ब्लॉग पर आने के लिए।

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    2. जरूर, बहुत-बहुत आभार संजय जी ब्लॉग पर आने के लिए।

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