शनिवार

अंधभक्ति

हमारा देश महाशक्ति होने का दावा करता है..किस आधार पर? जहाँ एक बाबा के अंध भक्तों की गुंडागर्दी नहीं रोकी जा सकी! आखिर इन बाबाओं को इतना शक्तिशाली बनाता कौन है? हमारे आपके बीच से ही आम लोग जो अज्ञानता वश ढोंगी गुरुओं में ही भगवान होने का भ्रम पाल लेते हैं और फिर आँखें मूंद कर इनका अनुसरण करते हैं। यह अंध भक्ति और अज्ञानता ही है जो देश को आगे नहीं बढ़ने दे रहा, कहीं लोग आँख बंद कर के किसी ढोंगी गुरु के प्रति आस्था प्रदर्शन करते हुए अमानवीयता की सीमा लांघ जाते हैं तो कहीं लोग किसी राजनीतिक पार्टी की सदियों तक आँखें बंद करके भक्ति करते हैं और परिणामस्वरूप उनकी अमानुषता का भी कोई जायज कारण ढूँढ़ लेते हैं। ऐसे लोगों को परिवर्तन पसंद नहीं आता, हर एक पायदान पर हर एक घटना में अपने पुराने दिनों की दुहाई देते हुए उनमें अच्छाइयाँ दिखाने का प्रयास करते हैं। ऐसी स्थिति में वो भूल जाते हैं कि बीते समय को सिर्फ उन्होंने नहीं औरों ने भी जिया है, सच्चाई से बाकी भी वाकिफ़ हैं।
यह अंधा विश्वास ही है जो कोई भी बाबा बनने का ढोंग रचाकर स्वयं को गरीबों का मसीहा जता कर लोगों की सोच पर लोगों की आस्था पर कब्जा कर लेता है और लाखों की तादात में चेले-चपाटे की फौज तैयार कर लेता है और इतना शक्तिशाली बन जाता है कि उसे कानून का भी भय नहीं होता और निर्भय होकर ईश्वर को शारीरिक, आर्थिक और सामाजिक करता है। वोटों के लालच में राजनीतिक पार्टियाँ भी इन्हें भारी मात्रा में चढ़ावे चढ़ाती हैं इसीलिए जब ऐसे बाबाओं के विरोध में कोई फैसला लेना हो तो ये पार्टियाँ पंगु बनी नजर आती हैं।
ऐसे छद्म वेशी गुरुओं को पनपने ही न देना हम आम नागरिकों के हाथ में होता है, हमें पता होना चाहिए कि हमे ईश्वर प्राप्ति का मार्ग दिखाने वाला कोई भौतिक भोगी गुरु नहीं हो सकता, हमें पता होना चाहिए कि जिसका मन राम में रम जाता है वो ऐशो-आराम और लग्ज़री लाइफ से कोसों दूर होता है। यदि किसी के पास अरबों-खरबों की सम्पत्ति भक्तों के जरिए आती है तो वह आस्था का व्यापारी हो सकता है प्रभु का अनुरागी नहीं। ऐसे ढोंगी बाबा सिर्फ गुंडे पालते हैं इनकी भक्ति करने वाला या तो अराजक मानसिकता वाला गुंडा हो सकता है या महामूर्ख।
अंत में बस इतना ही कि ईश्वर प्राप्ति के लिए मन में ईश्वर के प्रति आस्था जगाएँ कोई ढोंगी जो स्वयं धन प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त कर रहा है वह किसी को ईश्वर प्राप्ति का मार्ग कैसे दिखा सकता है?
मालती मिश्रा

6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सही और सटीक लिखा है।

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  2. बहुत ही सामयिक एवं सुंदर लेख ! बहुत खूब आदरणीया ।

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    1. राजेश कुमार जी बहुत-बहुत धन्यवाद

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  3. *यह अंध भक्ति और अज्ञानता ही है जो देश को आगे नहीं बढ़ने दे रहा, कहीं लोग आँख बंद कर के किसी ढोंगी गुरु के प्रति आस्था प्रदर्शन करते हुए अमानवीयता की सीमा लांघ जाते हैं तो कहीं लोग किसी राजनीतिक पार्टी की सदियों तक आँखें बंद करके भक्ति करते हैं और परिणामस्वरूप उनकी अमानुषता का भी कोई जायज कारण ढूँढ़ लेते हैं।*

    आपने एकदम सच कहा। मैं हैरत में हूँ कि कैसे पढ़े लिखे और कुलीन वर्ग के लोग ऐसे बाबाओं के अंधभक्त हो जाते है। आदरणीया मालती जी,आपकी संवेदना और सजगता को नमन करता हूँ। बहुत संतुलित और प्रखर लेख।

    कहने में प्रसन्नता है कि आप से सदा प्रभावित रहा हूँ। आप का लेखन समसामयिक रचनाकारों से अलग है। वर्तमान व्यावसायिक लेखन से परे सार्थक रचनात्मकता आपकी विशिष्टता है जो सदा हम जैसे नव रचनाकारों को सदा प्रेरित करती है।

    सार्थक लेखन को एक साथ एक मंच पर संग्रहित और प्रसारित करने के उद्देश्य से आरंभ की गई कम्युनिटी 'उड़ती बात' पर आपकी कलम का नूर बिखरे तो उद्देश्य पूर्ति में एक बड़ा कदम साबित होगा।

    मेरी दिली इच्छा है कि आप उड़ती बात पर पधारें। आप मेरा आग्रह स्वीकार करेंगें तो अनुग्रह होगा।

    https://plus.google.com/communities/100288072221574116562

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    1. अमित जैन ब्लॉग पर आने और अपनी राय से अवगत कराने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। ये जानकर प्रसन्नता हुई कि आप आप 'उड़ती बात' पर मेरे भी लेख देखना चाहते हैं। मैं अवश्य प्रयास करूँगी।

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