रविवार

2017 तुम बहुत याद आओगे.....

बीते हुए अनमोल वर्षों की तरह
2017 तुम भी मेरे जीवन में आए
कई खट्टी मीठी सी सौगातें लेकर
मेरे जीवन का महत्वपूर्ण अंग
बन छाए
कई नए व्यक्तित्व जुड़े इस साल में
कितनों ने अपने वर्चस्व जमाए
कुछ मिलके राह में
कुछ कदम चले साथ
और फिर अपने अलग नए
रास्ते बनाए
कुछ जो वर्षों से थे अपने साथ
तुम्हारे साथ वो भी बिछड़ते
नजर आए
कुछ जो थे निपट अंजान
तुम उनकी मित्रता की सौगात
ले आए
जीवन की कई दुर्गम
टेढ़ी-मेढ़ी राहों पर
चलते हुए जब न था कोई
साथी
ऐसे तन्हा पलों में भी
तुम ही साथ मेरे नजर आए
वक्त कैसा भी हो
खुशियों से भरा
या दुखों से लबरेज
तुम सदा निष्काम निरापद
एक अच्छे और
सच्चे मित्र की भाँति
हाथ थामे साथ चलते चले आए
वक्त का पहिया फिर से घूमा
आज तुम हमसे विदा ले रहे हो
सदा के लिए तुम जुदा हो रहे हो
भले ही साल-दर-साल तुम
दूर होते जाओगे
पर जीवन के एक अभिन्न
अंग की भाँति
ताउम्र तुम
बहुत याद आओगे
साल 2017
जुदा होकर भी तुम न
जुदा हो पाओगे
जीवन का हिस्सा बन
हमारी यादों में अपनी
सुगंध बिखराओगे
साल 2017 तुम
बहुत याद आओगे।
मालती मिश्रा

चित्र साभार गूगल से

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