मातृभाषा, मातृभूमि और माँ का कोई विकल्प नहीं
इसकी सेवा से बढ़-चढ़कर दूजा कोई संकल्प नहीं
नित उठ शीश नवा करके हम सब मिलकर वंदन करें
मातृभूमि की पावन माटी का आओ अभिनंदन करें।
इसी धरा पर करके क्रीड़ा पैरों पर अपने चलना सीखा
जीवन का यह अनमोल धरोहर समता इसकी कहीं न दीखा
शान हमारी मान हमारा इससे ही हमारा गौरव है
संपूर्ण जगत में व्याप्त हुआ इसका मनभावन सौरव है
इसके आदर्शों की गाथा जब विश्व ये पूरा गाता है
जन्म हमारा धन्य हुआ यह सोच हृदय हर्षाता है।
मातृभाषा, मातृभूमि और माँ का.....
मालती मिश्रा, दिल्ली✍️
शान हमारी मान हमारा इससे ही हमारा गौरव है
जवाब देंहटाएंसंपूर्ण जगत में व्याप्त हुआ इसका मनभावन सौरव है
वाह बहुत सुंदर रचना 👌
अनुराधा जी बहुत बहुत आभार
हटाएंवाह मीता!!
जवाब देंहटाएंशानदार, गौरव से भर उठा मन जननी जन्म भूमि स्वर्ग से महान है...
जीवन की यह अनमोल धरोहर इसका न सानी कोई दीखा।
बहुत सुंदर देश, भाषा और मां.... नमन।
मीता चित्र मे आप हो क्या कौनसा पुरस्कार ले रहे हो बधाई और शुभकामनाएं।
हाँ मीता मैं ही हूँ क्षेत्रीय कलमकार होने के नाते साहित्य सम्मान प्रशस्ति पत्र से सम्मानित।
हटाएंआपकी शुभकामनाएँ ही फलीभूत हो रही हैं। हार्दिक आभार मीता
मुबारकबाद मालती जी ...आपका सम्मान नारी जाती के उत्थान की ओर बढ़ते आपके कदम ....लाजवाब सखी
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह सदा जिस पर बरसता रहे
हटाएंकहें कैसे न उसका हर काज यूँ बनता रहे।
सादर आभार सखी🙏
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जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंलोकेश जी आभार🙏
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