रविवार

मातृभाषा को नमन


मातृभाषा, मातृभूमि और माँ का कोई विकल्प नहीं
इसकी सेवा से बढ़-चढ़कर दूजा कोई संकल्प नहीं

नित उठ शीश नवा करके हम सब मिलकर वंदन करें
मातृभूमि की पावन माटी का आओ अभिनंदन करें।

इसी धरा पर करके क्रीड़ा पैरों पर अपने चलना सीखा
जीवन का यह अनमोल धरोहर समता इसकी कहीं न दीखा

शान हमारी मान हमारा इससे ही हमारा गौरव है
संपूर्ण जगत में व्याप्त हुआ इसका मनभावन सौरव है

इसके आदर्शों की गाथा जब विश्व ये पूरा गाता है
जन्म हमारा धन्य हुआ यह सोच हृदय हर्षाता है।

मातृभाषा, मातृभूमि और माँ का.....
मालती मिश्रा, दिल्ली✍️

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9 टिप्‍पणियां:

  1. शान हमारी मान हमारा इससे ही हमारा गौरव है
    संपूर्ण जगत में व्याप्त हुआ इसका मनभावन सौरव है
    वाह बहुत सुंदर रचना 👌

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  2. वाह मीता!!
    शानदार, गौरव से भर उठा मन जननी जन्म भूमि स्वर्ग से महान है...
    जीवन की यह अनमोल धरोहर इसका न सानी कोई दीखा।
    बहुत सुंदर देश, भाषा और मां.... नमन।
    मीता चित्र मे आप हो क्या कौनसा पुरस्कार ले रहे हो बधाई और शुभकामनाएं।

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    उत्तर
    1. हाँ मीता मैं ही हूँ क्षेत्रीय कलमकार होने के नाते साहित्य सम्मान प्रशस्ति पत्र से सम्मानित।
      आपकी शुभकामनाएँ ही फलीभूत हो रही हैं। हार्दिक आभार मीता

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  3. मुबारकबाद मालती जी ...आपका सम्मान नारी जाती के उत्थान की ओर बढ़ते आपके कदम ....लाजवाब सखी

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    उत्तर
    1. आपका स्नेह सदा जिस पर बरसता रहे
      कहें कैसे न उसका हर काज यूँ बनता रहे।
      सादर आभार सखी🙏

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  4. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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