जब से तुम आए सत्ता में
एक भला न काम किया
क्यों न तुम्हारी करें खिलाफत
हर दिशा में हलचल मचा दिया
आराम पसंद तबके को भी
काम में तुमने लगा दिया
चैन की बंसी जहाँ थी बजती
मचा वहाँ कोहराम दिया
क्या कहने सरकारी दफ्तर के
आजादी से सब जीते थे
बिना काम ही चाय समोसे
ऐश में जीवन बीते...
जब से तुम आए....
