लहरा के तिरंगा भारत का
हम आज यही जयगान करें,
यह मातृभूमि गौरव अपना
फिर क्यों न इसका मान करें।
सिर मुकुट हिमालय है इसके
सागर है चरण पखार रहा
गंगा की पावन धारा में
हर मानव मोक्ष निहार रहा,
यह आन-बान और शान हमारी
इससे ही पहचान मिली
फिर ले हाथों में राष्ट्रध्वजा
हम क्यों न राष्ट्रनिर्माण करें।।
यह मातृभूमि गौरव अपना
फिर क्यों न इसका मान करें
इसकी उज्ज्वला धवला छवि
जन-जन के हृदय समायी है
स्वर्ण मुकुट सम शोभित हिमगिरि
केसरिया गौरव बरसायी है।
श्वेत धवल गंगा सम नदियों से
गौरव गान देता सुनाई है
सदा सम्मान हमारा बढ़ा रही
तो क्यों न हम अभिमान करें
यह मातृभूमि गौरव अपना
फिर क्यों न इसका मान करें
लहरा के तिरंगा भारत का
हम आज यही जयगान करें,
यह मातृभूमि गौरव अपना
फिर क्यों न इसका मान करें।।
मालती मिश्रा "मयंती"✍️
हम आज यही जयगान करें,
यह मातृभूमि गौरव अपना
फिर क्यों न इसका मान करें।
सिर मुकुट हिमालय है इसके
सागर है चरण पखार रहा
गंगा की पावन धारा में
हर मानव मोक्ष निहार रहा,
यह आन-बान और शान हमारी
इससे ही पहचान मिली
फिर ले हाथों में राष्ट्रध्वजा
हम क्यों न राष्ट्रनिर्माण करें।।
यह मातृभूमि गौरव अपना
फिर क्यों न इसका मान करें
इसकी उज्ज्वला धवला छवि
जन-जन के हृदय समायी है
स्वर्ण मुकुट सम शोभित हिमगिरि
केसरिया गौरव बरसायी है।
श्वेत धवल गंगा सम नदियों से
गौरव गान देता सुनाई है
सदा सम्मान हमारा बढ़ा रही
तो क्यों न हम अभिमान करें
यह मातृभूमि गौरव अपना
फिर क्यों न इसका मान करें
लहरा के तिरंगा भारत का
हम आज यही जयगान करें,
यह मातृभूमि गौरव अपना
फिर क्यों न इसका मान करें।।
मालती मिश्रा "मयंती"✍️
नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
गुरुवार 16 अगस्त 2018 को प्रकाशनार्थ 1126 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
सधन्यवाद।
आभार आपका, जयहिंद🇮🇳
हटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 16.08.18. को चर्चा मंच पर चर्चा - 3065 में दिया जाएगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
आभार दिलबाग विर्क जी🙏
हटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय🙏
हटाएंबहुत सुंदर 👌
जवाब देंहटाएंसादर आभार अनुराधा जी
हटाएंगौरवशाली गाथा को थोड़े से शब्दों में कह देना किसी के बस में नहीं होता ।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना मालती जी
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत रहेगा
सादर आभार आदरणीय
हटाएंलहरा के तिरंगा भारत का
जवाब देंहटाएंहम आज यही जयगान करें,
यह मातृभूमि गौरव अपना
फिर क्यों न इसका मान करें।।
..............
पूरे भारत वर्ष के नागरिकों के यही भाव होने ही चाहिए
बहुत सुन्दर सामयिक रचना
आ० कविता जी सादर आभार
हटाएंधन्यवाद अमित जी
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