यह दुनिया एक रंगमंच है
हर मानव अभिनेता है
जीते हैं सब वही पात्र
जो ऊपर वाला देता है।
चढ़ा मुखौटा जोकर का हम
दोहरा जीवन जी लेते हैं
छिपा अश्क पलकों के पीछे
बस अधरों से हँस देते हैं।
अपने गम की कीमत पर
लोगों में खुशियाँ बिखराना
नहीं है आसां दुनिया में
यारों जोकर बन जाना।
मालती मिश्रा "मयंती"✍️
बहुत शानदार और सत्य रचना मीता।
जवाब देंहटाएंआपकी स्नेहपूरित सराहना मेरी चिंतन शक्ति को उर्वरता प्रदान करती है मीता। धन्यवाद
हटाएंचढ़ा मुखौटा जोकर का हम
जवाब देंहटाएंदोहरा जीवन जी लेते हैं
छिपा अश्क पलकों के पीछे
बस अधरों से हँस देते हैं।
वाह बहुत खूब 👌👌👌
आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया पाकर मन प्रफुल्लित हुआ अनुराधा जी।
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद लोकेश जी
हटाएंसूचना के लिए तथा रचना को मान देने के लिए आभार आ०
जवाब देंहटाएंअपनी प्रतिक्रिया से मेरा उत्साहवर्धन करने के लिए सादर आभार अमित जी🙏
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